SC Hearing In Ayodhya Land Dispute Case Day 5 Written Updates: जन्मस्थान खुद में एक देवता है और देवता का बंटवारा नही हो सकता: रामलला विराजमान

SC Hearing In Ayodhya Land Dispute Case Day 5 Written Updates: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 13 अगस्त 2019 को अयोध्या राम जन्मभूमि जमीन विवाद में पांचवें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील एस वैद्यनाथन ने दलील पेश की. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह माना था कि विवादित स्थल ही राम जन्मभूमि है. हिन्दू धर्म में स्थल को ही देवता मानते हैं और देवता का बंटवारा नहीं किया जा सकता है.

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SC Hearing In Ayodhya Land Dispute Case Day 5 Written Updates: जन्मस्थान खुद में एक देवता है और देवता का बंटवारा नही हो सकता: रामलला विराजमान

Aanchal Pandey

  • August 13, 2019 4:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी केस पर सुनवाई चल रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अध्यक्षता में इस मामले पर 13 अगस्त 2019 को सुमवाई हुई. सोमवार के दिन ईद की छुट्टी होने के कारण से आज सुनवाई हुई. रामलला की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरन ने शुरू की बहस कहा पूर्ण न्याय करना सुप्रीम कोर्ट के विशिष्ट क्षेत्राधिकार मे आता है. वरिष्ठ वकील के परासरण की तरफ से बहस पूरी अब रामलला के लिये वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने बहस की शुरुवात की. 

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस में सुनवाई हुई. रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील एस वैद्यनाथन ने दलील रखी. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह माना था कि विवादित स्थल ही राम जन्मभूमि है. हिन्दू धर्म में स्थल को ही देवता मानते हैं और देवता का बंटवारा नहीं किया जा सकता है.

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथ

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि लखनऊ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये माना था कि वहाँ मंदिर था. हालांकि जस्टिस एस यू खान ने इससे थोड़ा अलग नजरिया रखा था, लेकिन उन्होंने भी पूरी तरह से मंदिर के होने से इंकार नहीं किया था. लखनऊ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी मांग था 1949 से बाबरी मस्जिद में नमाज़ अदा नहीं की गई. रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि ने मुस्लिम पक्ष की दलील को पढ़ा और कहा कि उनके पास कोई सबूत नही है कि उनके पास कब्जा है या कब्जा चला आ रहा है.

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिन्दुओं के लिये पूजनीय था. हिंदू दर्शन करने आते थे, सिर्फ मूर्ति की जरुरत नहीं है किसी स्थान के पूजनीय होने के लिये गंगा, गोवर्धन पर्वत, मानसरोवर पर्वत का भी हम उदाहरण ले सकते हैं. रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि कोई स्थान देवता हो सकता है अगर उसमें आस्था है तो.

जस्टिस अशोक भूषण

जिसपर जस्टिस अशोक भूषण ने चित्रकूट में कामदगिरि परिक्रमा का जिक्र किया “कहा लोगों की आस्था और विश्वास है कि वनवास जाते समय भगवान राम, लक्मन और सीता ठहरे थे.

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के जज जस्टिस अग्रवाल ने कहा था कि जो मेन गुंबद है
वही असल में जन्मस्थान है और परिक्रमा उसी के आसपास होती है इसलिए इस पूरी एरिया को पवित्र माना जाता है, जबकि जस्टिस शर्मा ने माना था कि सेन्ट्रल डोम और परिक्रमा स्थल पवित्र स्थान है.

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने रामलला विराजमान के वकील सी एस वैधनाथन से पूछा हाई कोर्ट ने अपने फैसले में दो पक्षों को कब्जा दिया है इसको कैसे देखा जाए?

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने हमेशा माना है कि विवादित जमीन पर हिंदू पूजा करते आये है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से मालिकाना हक को लेकर कभी कोई सबूत नही दिया गया. ना ही इस बात का सबूत दिया गया कि जमीन पर उनका कब्जा था. रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने दावा है कि वो 1850 से 1949 तक वहाँ नमाज़ अदा करते आये है. लेकिन कभी भी उन्होंने मालिकाना हक़ को लेकर कोई सबूत नही दिए है.  हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अगर मूर्ति हट भी जाती है तो नही स्थान की पवित्रता बरकरार रखती है.

संविधान पीठ

संविधान पीठ ने रामलला विराजमान को कहा कि जमीन पर कब्ज़े के सबूत पेश करे. संविधान पीठ ने कहा कि आप सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को नकार रहे है,आप अपने दावे को कैसे साबित करेंगे?

लंच के बाद

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों के फैसले में वैचारिक तालमेल नही है. भगवान श्री राम लला विराजमान देवता है. दूसरी जगह वो कहते है, भगवान सम्पति के मालिक है. तीसरी जगह पर कहते है कि दोनों लोगों का सामुहिक कब्जा था. जब स्थान खुद में पूजनीय है और देवता है तब ये नही कहा जा सकता कि वहाँ भगवान रहते है और इसी ऐसी स्थिति में सामूहिक कब्जा नही हो सकता.

जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा आपकी दुनिया देखने का नजरिया आपका नजरिया है लेकिन आपके दुनिया देखने का नजरिया एक मात्र नजरिया नही हो सकता है. एक नजरिया ये है कि स्थान खुद में ईश्वर है, और दूसरा नजरिया ये है कि वहाँ पर हमें पूजा करने करने का हक मिलना चाहिए. हमें दोनों को देखना होगा.

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला के वकील ने कहा ये हमारा नजरिया है, अगर कोई दूसरा पक्ष उसपर दावा करता है तो हम डील कर लेंगे. लेकिन हमारा नजरिया है कि स्थान देवता है और देवता का दो पक्षों में सामूहिक कब्जा नही दिया जा सकता.

जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ ने रामलला के वकील से पूछा आप कहना चाहते है कि मस्जिद बनने से स्थान की मान्यता में कोई बदलाव नही आया?

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला के वकील वैधनाथन ने कहा मस्जिद के बनने से मान्यता और विश्वास में कोई बदलाव नही आया क्योंकि भगवान तो हमेशा उस जगह पर विराजमान है.

जस्टिस एस ए बोबड़े

जस्टिस एस ए बोबड़े ने रामलला के वक़ील से पूछा आप ये कह रहे है कि भगवान (स्थान) का बंटवारा नही हो सकता?

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला के वकील ने कहा कि हां भगवान का बंटवारा नही हो सकता. अगर ये माना जाता है कि ये भगवान की जगह है तो मस्जिद बनने से स्थान की मान्यता में कोई बदलाव नही होता. हिन्दुओं के पास हमेशा से ज़मीन का कब्जा रहा है.

जस्टिस एस ए बोबड़े

जस्टिस एस ए बोबड़े आपको कब्ज़े को लेकर सबूत देने होंगे.

रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन

रामलला के वकील ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने वक़ील को भी अपना कब्जा साबित करना है लेकिन वो साबित करने में फेल रहा. रामलला के वकील वैधनाथन ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले मे माना था कि मस्जिद का निर्माण किया माना था कि मंदिर को गिराया गया था. लेकिन मंदिर भले ही गिरा दी गई हो लेकिन जन्मभूमि को लेकर लोगों का विश्वास कभी नही टूटा. मस्जिद उस समय बनाई गई जब देश में इस्लामिक शासन था, उस समय हिन्दू मंदिर नही बना सकते थे। लेकिन जैसे ही उन्हें मौका मिला उन्होंने पूजा शुरू की.

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन कि ओर से रामलला विराजमान के वकील कि ओर से पूरा दस्तावेज पढ़ने पर आपत्ति जताई

CJI जस्टिस रंजन गोगोई

जिस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा पीठ सुन रही है आपको क्या परेशानी है. धवन ने कहा कि कोई साक्ष्य नहीं पेश किया जा रहा सिर्फ हाईकोर्ट का फैसला पढ़ा जा रहा है.इस पर पीठ ने कहा हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। विराजमान अपना पूरा तर्क रखें. मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी. रामलला की तरफ से पक्ष रखा जाएगा. 

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