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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बालिगों की शादी नहीं रोक सकती खाप पंचायत

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि शादी करने के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों की दखल बिल्कुल अवैध है. वहीं कोर्ट ने कहा है कि 'ऑनर किलिंग' के सारे मामलों का निपटारा विशेष/त्वरित अदालतों के जरिए होना चाहिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला एक एनजीओ शक्ति वाहिनी द्वार दाखिल एक याचिका पर आया है.

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supreme court guidelines to khap panchayat
  • March 28, 2018 3:12 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ‘सुप्रीम कोर्ट’ ने खाप पंचायत को लेकर एक बड़ा आदेश दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी करने के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों का किसी भी तरह की दखल अंदाजी बिल्कुल अवैध है. कानून में इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘ऑनर किलिंग’ के सारे मामलों का निपटारा विशेष/त्वरित अदालतों के जरिए होना चाहिए.

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविल्कर व न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने इस बारे में कहा कि ऑनर किलिंग गैरकानूनी है और इसे पलों के लिए भी अस्तित्व में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि असहिष्णु समूह जो श्रेष्ठ वर्ग या श्रेष्ठ नस्ल की भावना रखते हैं, वे किसी प्रकार के सामाजिक, नैतिक, दर्शन या स्वघोषित दावों के जरिए लोगों से उनके अधिकार नहीं छीन सकते हैं. अदालत ने ऑनर किलिंग को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, पसंद के अधिकार और किसी की पसंद के अपनी अनुभूति को समाप्त करना बताया. कोर्ट ने कहा कि जब दो लोग सहमति से जीवनसाथी चुनते हैं तो यह उनके चुनने की आजादी है.
संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत इसे एक पहचान दी गई है.

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश देते हुए कहा है कि ऑनर किलिंग से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई अधिकृत विशेष अदालतों या त्वरित अदालतों में होनी चाहिए. इसके साथ ही मामले की सुनवाई रोजाना आधार पर होनी चाहिए और अपराध के बारे में संज्ञान लेने के छह माह के भीतर इसका निपटारा हो जाना चाहिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला एक एनजीओ शक्ति वाहिनी द्वार दाखिल एक याचिका पर आया है. दरअसल एनजीओ ने कोर्ट से खाप पंचायतों जैसी संस्थाओं की रजामंदी के बिना होने वाले विवाहों में उनके दखल को लेकर याचिका दाखिल करते हुए अपील की थी.

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