नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुरादाबाद जिला अदालत से 2008 के एक आपराधिक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता और आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान के किशोर होने के दावे का निर्धारण करने को कहा है। बता दें कि साल 2008 के एक आपराधिक मामले में अब्दुल्ला आजम खान को दोषी ठहराया गया था और उसके बाद ही उन्हें विधायक पद के लिए अयोग्य ठहराया गया था।
जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने जिला न्यायाधीश को अब्दुल्ला आजम खान के दावे की जांच करने और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत निष्कर्ष देने का निर्देश दिया है। इस मामले में अब सर्वोच्च न्यायालय जिला न्यायाधीश से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मामले की सुनवाई करेगा।
अब्दुल्ला आजम खान और उनके पिता आजम खान के खिलाफ 2008 में भारतीय दंड संहिता की धारा 341 और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला) के तहत मुरादाबाद में एक आपराधिक केस दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि जांच के लिए पुलिस ने उनके वाहन को रोका, जिसके बाद उन्होंने यातायात बाधित कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 13 अप्रैल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अब्दुल्ला आजम खान की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। वहीं मुरादाबाद के एक कोर्ट ने इस मामले में फरवरी में अब्दुल्ला खान को दो साल की सजा सुनाई थी। इसी वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य पद के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
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