नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को महिला वकील को दंडात्मक कारवाई से बचाया था। वकील दीक्षा द्विवेदी ने मणिपुर हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कही थी की राज्य में जातीय हिंसा राज्य द्वारा प्रायोजित था।टिप्पणीयों पर मणिपुर पुलिस के द्वारा दर्ज एफआईआर के संबंध में राहत को 17 जुलाई तक बढ़ा दिया है […]
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को महिला वकील को दंडात्मक कारवाई से बचाया था। वकील दीक्षा द्विवेदी ने मणिपुर हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कही थी की राज्य में जातीय हिंसा राज्य द्वारा प्रायोजित था।टिप्पणीयों पर मणिपुर पुलिस के द्वारा दर्ज एफआईआर के संबंध में राहत को 17 जुलाई तक बढ़ा दिया है । उच्चतम न्यायालय ने सोमवर को मणिपुर पुलिस द्वारा एक तथ्य खोज मिशन के सदस्यों के कथित बयानों पर दर्ज की एफआईआर के संबंध में एक महिला वकिल को दी गई गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधी को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है
सुप्रीम कोर्ट में दोनों तरफ से दलीलें
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ,न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन बेचों की जजों के सामने महिला वकिल के तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को आगे की राहत के लिए सक्षम क्षेत्राधिकार वाली अदालत से बात करने को कहा। मामले का सुनवाई करते हुए तीन बेचों की जजों ने कही कि द्विवेदी मणिपुर की एक अदालत के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हो सकती हैं और शिकायत की स्थिति में वह फिर से शीर्ष अदालत में याचिकी दाखिल कर सकती है। मणिपुर सरकार का कोर्ट में पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा की एक वकिल अगर राज्य में हिंसा भड़काने के लिए दौरा कर सकती है तो वो शारीरिक रुप से भी अदालत में पेश हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि एक वकील भाषण देने के लिए मणिपुर चलि गई और अब अदालत के सामने आना नही चाहतीं।
इससे पहले भी मिली है राहत
उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को महिला वकील को दंडात्मक कारवाई से बचाया था। वकील दीक्षा द्विवेदी ने मणिपुर हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कही थी की राज्य में जातीय हिंसा राज्य द्वारा प्रायोजित था। सोमवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने एक बार फिर से महिला वकिल को दी गई गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधी को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है