याचिकाकर्ता ने अर्जी में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा सिजेरियन डिलीवरी को आमदनी का जरिया बना लेने का आरोप लगाते हुए दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
नई दिल्ली. ऑपरेशन से सिजेरियन डिलीवरी को लेकर गाइडलाइन बनाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप चाहती हैं कि हम सिजेरियन डिलीवरी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को नीति तय करने का निर्देश दें. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा जुर्माने का पैसा 4 हफ्ते के भीतर SCBA में देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस तरह की याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. दरअसल ऑपरेशन से प्रसव यानी सिजेरियन डिलीवरी के बढ़ते चलन और निजी अस्पतालों द्वारा इसे आमदनी का जरिया बना लेने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस बारे में दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट से केंद्र और राज्य सरकारों को ऑपरेशन से डिलीवरी (सिजेरियन डिलीवरी) के बारे में नीति तय करने का निर्देश दिए जाने की गुहार लगाई गई थी.
अॉपरेशन से डिलीवरी के बारे में मीडिया में आए आंकड़ों का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि कुछ राज्यों में स्थिति बेहद चिंताजनक है. तेलंगाना के शहरी क्षेत्रों के निजी अस्पतालों में हुई कुल डिलीवरी की 74.8 फीसदी सिजेरियन है. इसी तरह केरल में 41 फीसदी और तमिलनाडु में 58 फीसदी प्रसव सिजेरियन डिलीवरी के जरिए हुए हैं. दिल्ली में यह दर 65 फीसदी से ज्यादा है.