चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. बता दें कि इससे पहले 15 दिसंबर को पीठ ने बैंक खातों और मोबाइल नंबर सहित सभी सेवाओं और योजनाओं के साथ आधार संख्या से जोड़ने के लिए समय सीमा 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दी थी.
नई दिल्लीः आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यी बेंच जस्टिस एम खांडविल्कर, आदर्श कुमार सीकरी, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषणपांच सदस्यीय बेंच आज यानी बुधवार को आखिरी चरण की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान AG के के वेणुगोपाल ने कह कि फरवरी की शुरुआत में ही अयोध्या मामले की सुनवाई होनी है इसलिए सभी पक्षों का वक्त निर्धारित किया जाए जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश पेश श्याम दीवान ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अगले हफ्ते ही बता सकते हैं कि कितना वक्त लगेगा.
दीवान ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है, इसमें पूरे आधार प्रोजेक्ट को चुनौती दी गई है. उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतांत्रिक समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा. विदेशों में फैसला नागरिकों के पक्ष में गया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकारी योजना को मंजूरी दी जाती है तो ये नागरिकों का संविधान नहीं बल्कि राज्य का संविधान जैसा होगा. उन्होंने कहा कि हमारे देश में बिना आधारकार्ड के नागरिक के तौर ओर आप जीवित नहीं रह सकते. UIDAI ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 2014 के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक मामलों में वो बायोमेट्रिक डाटा साझा करेगी.
उन्होंने आगे कहा कि आधार कार्ड बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर, इंश्योरेंस पॉलिसी और ट्रांजेक्शन के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. देश में कई लोग ऐसे है जो आधार कार्ड को बनवाने के लिए आधार कार्ड के सेंटर तक नही पहुँच पाते हैं. लोग तीन या चार बार लगातार फिंगर प्रिंट देते हैं. उनको ये नहीं पता होता कि पहली बार में सही गया तह या नहीं? ऐसे में इस बात का भी अंदेशा होता है कि उनके एकाउंट को खाली न कर किया गया हो. याचिका दाखिल करने वाले कई लोग ऐसे में जो स्कूलों में काम करते है ऐसे में बच्चों के लिए भी आधार कार्ड जरूरी है जिसे उन्हें मजबूरी में देना पड़ता है. ऐसे में आधार कार्ड के अलावा किसी दूसरे विकल्प को भी तलाशना चाहिए ताकि लोग बिना अपना डाटा दिए लाभ ले सके. क्या संविधान किसी राज्य को इतना अधिकार देती है कि वो लोगों का पर्शनल डाटा दे सके
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बैंक खाते और मोबाइल से आधार लिंकिंग की तारीख 31 मार्च तक बढ़ाई