नई दिल्लीः दिल्ली महिला आयोग के एक मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने ये कहते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय भेज दिया कि हम हर एक मामले में ऐसे सुनवाई नहीं कर सकते। महिला आयोग का कोष यानी आर्थिक मदद रोक देने की अर्जी पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने सवाल पूछा कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की बजाय दिल्ली हाईकोर्ट क्यों नहीं गए ? उन्होंने पूछा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच होने वाले हर विवाद सीधे उच्चतम न्यायालय क्यों लाए जाते हैं ? हम हर एक मामले में ऐसे सुनवाई नहीं कर सकते। हम सिर्फ संवैधानिक पहलुओं पर ही सीधे सुनवाई कर सकते हैं। सामान्य विवाद पर नहीं।
दिल्ली महिला आयोग के वकील गोपाल शंकर नारायणन ने बताया कि ये आयोग का मामला है, धनराशि नहीं है। इस पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि कल हमारे सामने बस मार्शल का मामला सामने आया है। हम ऐसे रोज-रोज सामान्य मामले नहीं सुन सकते, जिनमे कोई संवैधानिक दिक्कत न हो। इसके बाद अदालत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में खाली पदों को भरने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार और न्याय क्षेत्र का हवाला देते हुए रजिस्ट्री को आदेश देते हुए कहा कि इस याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय के पास सुनवाई हेतु भेज दिया जाए।
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