नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने गुरुवार को धारा-377 को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फैसले के अनुसार अब भारत में दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध बनाना अपराध नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता पर सभी न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसला पढ़ा, हालांकि सभी का फैसला एकमत था. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए विलियम शेक्सपियर का भी जिक्र किया.
सबसे पहले प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविलकर का लिखा हुआ फैसला पढ़ा गया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत में व्यक्तिगत पसंद को इजाजत दी जानी चाहिए. समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए. सबको समान अधिकार सुनिश्चित करने की जरूरत है. मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि हर बादल में इंद्रधनुष खोजना चाहिए. दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविल्कर ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि समलैंगिक लोगों के बीच शारीरिक संबंध बनाना अब धारा-377 के तहत नहीं आएगा.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ‘मैं जो हूं वो हूं, लिहाजा जैसा मैं हूं उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाए. कोई भी अपने व्यक्तित्व से बच नहीं सकता है. समाज अब व्यक्तिगतता के लिए बेहतर है. मौजूदा हालत में हमारे विचार-विमर्श विभिन्न पहलू दिखाता है.’ मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, डीवाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में आईपीसी की धारा-377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर इसी साल जुलाई में सुनवाई पूरी हो चुकी थी. जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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