अयोध्या. अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम बहस शुरू होने से पहले एक नया मोड़ आ गया है. इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने जमीनी विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की पहल की है. जिस पर बुधवार को मामले की सुनवाई कर रही
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ आदेश दे सकती है.
सवाल ये उठता है सदियों पुराना ये विवाद क्या बातचीत से हल हो पायेगा? सवाल ये भी उठता है कि आखिर ये प्रयास कितने बार किया जाएगा?
दरअसल 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि अगर मध्यस्थता से विवाद हल होने की एक प्रतिशत भी गुंजाइश हो तो कोशिश की जानी चाहिए. जस्टिस बोबड़े ने दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 का जिक्र करते हुए कहा कोर्ट जमीनी विवाद को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है.
संविधान पीठ ने कहा था कि ये विवाद दो धर्मों की पूजा अर्चना से जुड़ा हुआ है लिहाजा इसे कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गए मध्यस्थ के जरिये सुलझाने की पहल की जानी चाहिए. संविधान पीठ ने कहा था कि मुख्य मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के बाद होगी तब तक आपसी समझौते से विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जा सकता है.
जिसपर रामलला विराजमान और हिन्दू महासभा ने विरोध जताया था जबकि मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा था कि वो आपस में बातचीत करने के लिए तैयार है.
* दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 क्या कहती है?
दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत कोर्ट जमीनी विवाद को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है. कानून के जानकारों के अनुसार जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी है, अगर कोई पक्ष इस समझौते से तैयार नही होता तो अदालत लंबित याचिका पर सुनवाई करेगा.
* आपसी बातचीत से मामले को सुलझाने को लेकर सभी पक्षों की क्या राय है?
1. निर्मोही अखाड़ा- निर्मोही अखाड़ा एक मात्र ऐसा हिंदू पक्ष है जो इस मामले को सुलझाने के लिए बातचीत करने को तैयार है. निर्मोही अखाड़ा के वकील का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार है.
2. मुस्लिम पक्ष- 26 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार है. लेकिन बातचीत की रिकॉर्डिंग हो और गोपनीय हो.
3. रामलला विराजमान- रामलला विराजमान के वकील सी एस वैधनाथन ने कोर्ट से बाहर इस मामले की सुलझाने के लिए तैयार नही है. 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहा था कि इस मसले को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सहमति नही बन पाई. ऐसे में कोर्ट इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू करे.
4.अखिल भारत हिन्दू महासभा- अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन के कहा कि इस मसले का बातचीत से हल नहीं निकल सकता क्योंकि इससे पहले भी कई बार बातचीत से इस विवाद को हल करने की कोशिश की गई है. अयोध्या राम जन्मभूमि में एक टुकड़ा भी मुस्लिम पक्ष को नही दिया जा सकता.
* अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर आपसी सहमति से सुलझाने के लिए कब-कब प्रयास किए गए?
* 1993,94 में केंद्र सरकार ने प्रयास किया
अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन मुताबिक इस मसले को अदालत के बाहर सुलझाने के कई बार प्रयास किये गए. 1994 में केंद्र सरकार ने इस मामले में पहल करते हुए सभी पक्षों को आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने को कहा था. हरि शंकर जैन के मुताबिक उस समय बातचीत के कई दौर चले लेकिन सहमति नही बन पाई थी.
* लखनऊ हाई कोर्ट आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने का प्रयास किया
उसके बाद लखनऊ हाई कोर्ट ने इस मामले में आपसी सहमति से मामले को सुलझाने का प्रयास किया. हरि शंकर जैन के मुताबिक हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को बुलाकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन वहां भी सहमति नही बन पाई.
* 2010 रमेश चंद्र त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की मांग की
इसी बीच रमेश चंद्र त्रिपाठी ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की मांग की. लेकिन उस समय भी आपसी सहमति से मामले का निपटारा नही हो पाया.
* मार्च 2017 सुप्रीम कोर्ट ने जब पहल की
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा था कि ये मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है और ये बेहतर होगा कि इसको दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाएं. जस्टिस खेहर ने कहा था मुद्दा कोर्ट के बाहर हल किया जाए तो बेहतर होगा. अगर ऐसा कोई हल ढूंढने में वे नाकाम रहे तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा.
जस्टिस खेहर ने ये तब कहा जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. हालांकि बाद में कोर्ट को ये बताया गया कि स्वामी इस मामले में मुख्य पक्षकार नही है. उसके बाद कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई पक्ष आपसी समझौते से विवाद को हल करने के लिए आएगा तो वो पहल करेंगे.
* अगस्त 2017 शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल कर कहा विवादित जमीन पर राम मंदिर बने
इसी बीच शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि विवादित जमीन पर वो अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार है और वो चाहते है कि विवादित जमीन पर राममंदिर बने. हालांकि उन्होंने अपने हलफनामे में ये भी कहा कि लखनऊ के शिया बहुल इलाके में उन्हें मस्जिद बनाने की जगह दी जाए. इस हलफनामे का बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी ने विरोध किया था और कहा था शिया वक्फ बोर्ड इस मामले में मुख्य पक्षकार नही है और कानून की नजर में उनके हलफनामे की कोई अहमियत नहीं है.
* अक्टूबर 2017 आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने पहल की
अक्टूबर 2017 आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी विवाद लो आपसी सहमति से हल करने के लिए प्रयास किये. इस संबंध में श्री श्री रविशंकर ने सभी पक्षों से मुलाकात की लेकिन बात नही बन पाई.
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