Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: सुप्रीम कोर्ट अयोध्या राम मंदिर जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले में सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को इस बात पर फैसला लेना है कि मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को साथ बिठाया जाए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने अपना पैसला सुरक्षित रख लिया है.
अयोध्या. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले में सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार सुबह सुनवाई की गई. कोर्ट को फैसला करना है कि इस मामले में कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता के जरिए इस मामले को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को साथ बिठाया जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने बहस खत्म होने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मध्यस्थता का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से मध्यस्थता के लिए नाम देने के लिए कहा है.
बहस की शुरुआत में हिंदू महासभा ने कहा कि समझौते के लिए पब्लिक नोटिस का जारी होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इसके लिए मध्यस्थता की जरूरत भी नहीं है. वहां की जमीन हमारी ही है. मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के दो पुराने फैसलों के जिक्र किया. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि संविधान पीठ सभी पक्षों को कहे कि मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाए. यहां तक कि बिचौलिये को भी कहा जाए कि वो गोपनीय रखे. जब तक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल नहीं होती तब तक.
सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा, ये केवल जमीनी विवाद नहीं है ये भावनाओं, धर्म और आस्था के बारे में हैं. यह केवल पार्टियों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि दो समुदायों को लेकर विवाद है. हम इस विवाद के हर पहलू से अवगत हैं. हम मध्यस्थता के माध्यम से लाखों लोगों को कैसे बांधेंगे. यह इतना आसान नहीं होगा. इसके लिए एक बिचौलिया नहीं बल्कि एक पूरे पैनल को रखा जाए.
Supreme Court reserves order on the issue of referring Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title dispute case to court appointed and monitored mediation for “permanent solution”. pic.twitter.com/JoC907Mgcm
— ANI (@ANI) March 6, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा, बहस के दौरान कहा कि हमारा इस पर कोई नियंत्रण नहीं है कि पहले क्या हुआ, कौन घुसा, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद. हमें वर्तमान विवाद के बारे में जानकारी है. हम इसी विवाद को सुलझाने के बारे में सोच रहे हैं. उन्होंने कहा, जब मध्यस्थता होगी तो इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी. ये कोई मजाक नहीं है और इस दौरान किसी भी तरह की मीडिया पर पूरी तरह बैन लगाना चाहिए या मामले की रिपोर्टिंग रोकी जा सके ऐसा करना मुश्किल है.
बहस के दौरान भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा मध्यस्थता के कुछ मानक हैं और उससे आगे नहीं जा सकते हैं. उन्होंने बहस के लिए 1994 में संविधान पीठ के फैसले का जिक्र किया. इस फैसले में जिसमें पासिंग रिमार्क था कि मस्जिद में नवाज पढ़ना इस्लाम का अंदरूनी हिस्सा नहीं है. वहीं बहस में रामलला विराजमान की ओर से कहा गया कि हाई कोर्ट ने इस मामले में पहले भी आपसी बातचीत से विवाद को हल करने की कोशिश की थी लेकिन नहीं हो पाया था. अयोधया का मतलब राम जन्मभूमि है और ये मामला बातचीत से हल नहीं ही सकता.
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप अपना ये पक्ष मध्यस्थता के दौरान रख सकते हैं. निर्मोही अखाड़ा ने आपसी बातचीत के लिए हामी भर दी है. निर्मोही अखाड़ा के वकील ने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार है. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या इस मामले में मध्यस्थता को लेकर आदेश दे या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.