Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ बुधवार को अयोध्या विवाद से जुड़े एक मामले में सुनवाई करेगी. इससे पहले 26 फरवरी को दोनों पक्षों को एक हफ्ते का समय दिया गया था. कहा गया था कि दोनों पक्ष विचार कर लें और मध्यस्थता से मामले को सुलझाने के लिए हर संभावना का पता लगा लें.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला करेगा की आयोध्या टाइटल विवाद मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. 26 फरवरी को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को एक हफ्ते का समय दिया था. पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने दोनों पक्षों से कहा था कि इस मामले को कैमरे के जरिए कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की हर संभावना का पता लगाया जाए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने पिछले मंगलवार को घंटों चली बहस के बाद कहा था कि मध्यस्थता के विकल्पों को ढूंढा जाए.
कोर्ट इस बारे में आदेश देगा कि क्या कोर्ट की निगरानी में मीडिएटर नियुक्त कर मामले का कोर्ट से बाहर ही निपटारे की कोशिश की जा सकती है या नहीं. अयोध्या मुख्य मामले की सुनवाई 2 महीने बाद होगी. लोकसभा चुनाव तक नहीं आएगा फैसला. जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि ये विवाद किसी की निजी संपत्ति पर नहीं है इस कारण एक बार मध्यस्थता पर विचार किया जा रहा है. यदि इस प्रकार केवल 1 प्रतिशत उम्मीद भी है विवाद सुलझने की तो इसकी कोशिश की जानी चाहिए. कोर्ट में लंबित पड़े मामले मध्यस्थता के साथ चलेंगे. ये मध्यस्थता गोपनीय प्रक्रिया होगी. इस पीठ में अन्य जज, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर हैं.
ये पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 30 सितंबर 2010 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि 2.77 एकड़ की विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन तीन हिस्सों में बांट कर निर्मोही अखाड़ा, उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और रामलला विराजमान को दी जाए.
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