Supreme Court Ayodhya Case Hearing Ram Janmabhoomi Map Torn, Who is Rajeev Dhavan Lawyer of Muslim Sunni Waqf Board: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस के आखिरी दिन की सुनवाई में उस समय हाई वोल्टेज ड्रामा हो गया जब हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह के द्वारा किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रीविजिटेड से भगवान राम के कथित जन्मस्थान को लेकर पेश एक नक्शा को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने फाड़कर फेंक दिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इससे खासे नाराज हुए और कहा कि कोर्ट की मर्यादा का पालन करना चाहिए. बाद में राजीव धवन ने कहा कि चीफ जस्टिस ने कहा था कि वो पेपर फाड़ सकते हैं तो उन्होंने उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए.
नई दिल्ली. Supreme Court Ayodhya Case Hearing Ram Janmabhoomi Map Torn, Who is Rajeev Dhavan Lawyer of Muslim Sunni Waqf Board: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस की 40वें और आखिरी दिन की सुनवाई के दौरान उस समय कोर्टरूम में लोग सन्न रह गए जब सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह द्वारा पेश भगवान राम के कथित जन्मस्थान का नक्शा फाड़कर फेंक दिया. विकास सिंह ने पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रीविजेड में छपे राम के जन्म के स्थान को लेकर एक नक्शे को पेश किया था जिस पर राजीव धवन भड़क गए कि ये हाल-फिलहाल की किताब है और इस स्टेज पर नए सबूत पेश नहीं किए जा सकते. नक्शा फाड़ने से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई नाराज हो गए और उन्होंने कोर्ट की मर्यादा बनाए रखने को कहा.
हुआ ये कि हिन्दू महासभा की तरफ से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने बहस की शुरुआत की और किशोर कुणाल की लिखी किताब अयोध्या रीविजिटेड को रिकॉर्ड पर कोर्ट के समक्ष रखने की पेशकश की. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इसका विरोध किया और कहा कि ये नई किताब है. विकास सिंह ने कोर्ट को बुक दी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि वो नवंबर में इस किताब को पढेंगे. विकास सिंह ने चीफ जस्टिस से कहा कि वो फैसले से पहले इस किताब को पढ़ें तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने हंसते हुए कहा कि देखते हैं. इस बीच राजीव धवन की टोकाटोकी से विकास सिंह नाराज हो गए और कहने लगे कि हमारे पास समय कम है और ऊपर से राजीव धवन बार-बार टोक रहे हैं.
फिर राजीव धवन ने कहा कि वो विकास सिंह के उठाए सवालों का जवाब नहीं देंगे जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है आप जवाब ना दें. विकास सिंह ने कहा कि वो किताब पर रिलाई नहीं कर रहे बल्कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक एक नक्शा दिखाना चाहते हैं. तो राजीव धवन ने कहा कि ये नक्शा भी किशोर कुणाल की किताब का हिस्सा है और वो इसे इस स्टेज पर किसी भी हाल में पेश करने नहीं देंगे. ये कहते हुए धवन ने नक्शा फाड़ डाला और उसके पांच टुकड़े कर दिए.
फिर विकास सिंह ने बुकानन और स्त्रम थेलर की किताबों के हवाले से कहा कि इनमें राम जन्मस्थान की लोकेशन है. ऑक्सफोर्ड की किताब के हवाले से भी विकास सिंह ने राम जन्मस्थल की सही जगह बताई. इस पर धवन ने कहा कि आपने कोर्ट में मज़ाक बना रखा है तो विकास सिंह ने भी दबी ज़बान में कहा कि मज़ाक आप बना रहे हैं. बाद में लंच के बाद दोबारा सुनवाई शुरू हुई तो राजीव धवन ने नक्शा फाड़ने को लेकर कहा- मैंने कहा था कि मैं इसे फेंक रहा हूं तो चीफ जस्टिस ने कहा कि जो करना है करो तो मैंने फाड़ दिया.
कुछ समाचार स्रोत पर राजीव धवन का कोर्ट में कही गई बात इस तरह कोटेड है- “चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं इसके टुकड़े कर सकता हूं और मैंने बस आदेश का पालन किया. मैं ऐसे मामलों में मिस्टर अरविंद दातार की सलाह लेता हूं और उन्होंने मुझे बताया कि ये परम आदेश है.” इस पर चीफ जस्टिस ने मजाकिया लहजे में कहा कि धवन सही हैं, चीफ जस्टिस ने कहा इसलिए उन्होंने फाड़ दिया. फिर जस्टिस नजीर ने कहा कि मीडिया में ये खबर खूब छपी है.
Who is Rajeev Dhavan Muslim Party Lawyer Sunni Waqf Board Advocate: कौन हैं मुस्लिम पक्ष से सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन
राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हैं जो अयोध्या केस में मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकदमा लड़ रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट से विवादित जमीन का एक तिहाई हिस्सा पाने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और लंदन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. 1992 के मंडल केस और 1994 के बाबरी मस्जिद में बहस कर चुके राजीव धवन को सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में सीनियर वकील का दर्जा दिया.
राजीव धवन की सुप्रीम कोर्ट में साथी वकीलों के साथ-साथ जज और चीफ जस्टिस तक से तीखी झड़प होती रही है. दिसंबर, 2017 में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे केस में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में सुनवाई के दौरान तीखी बहस के बाद उन्होंने इसे अपमानजनक बताते हुए वकालत से संन्यास का ऐलान किया था. लेकिन कुछ दिन बाद मुस्लिम पक्ष के आग्रह पर अपवाद के तौर पर अयोध्या केस को लड़ते रहने को तैयार हो गए क्योंकि वो हाईकोर्ट के समय से इस केस से जुड़े रहे हैं.