जेपी असोसिएट्स को सुप्रीम कोर्ट का आदेश-10 मई तक जमा कराओ 200 करोड़ रुपये

चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने जेपी असोसिएट्स को 15 अप्रैल तक रकम की पहली किस्त और 10 मई तक दूसरी किस्त जमा कराने का आदेश दिया है.

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जेपी असोसिएट्स को सुप्रीम कोर्ट का आदेश-10 मई तक जमा कराओ 200 करोड़ रुपये

Aanchal Pandey

  • March 21, 2018 1:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को जेपी एसोसिएट्स को 200 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है. अदालत ने अपना पैसा वापस मांग रहे 2,800 घर खरीदारों की मूल राशि के कुछ हिस्से के भुगतान के तौर पर यह रकम जमा कराने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर और जस्टिस डी.वाय. चंद्रचूड़ की पीठ ने 15 अप्रैल तक 100 करोड़ रुपये की पहली किस्त और उसके बाद 10 मई को शेष 100 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है. अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी. अदालत ने कहा कि 15 अप्रैल को अदालत देखेगी कि उसके आदेश का पालन हुआ या नहीं. अदालत ने साथ ही कहा कि अपना पैसा वापस मांग रहे खरीदारों को यह रकम अनुपातिक (प्रो राटा) आधार पर बांटी जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट को जेएएल ने बताया कि उसे 2017-2018 में 13,500 फ्लैट के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले, वहीं 8 परसेंट मकान खरीददारों ने रिफंड का अॉप्शन चुना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिफंड का अॉप्शन चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल स्टेट फर्म की ओर से कोई ईएमआई भुगतान डिफॉल्ट की नोटिस ना भेजी जाए.गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदने वालों को जेपी ग्रुप की तरफ से 2 हजार करोड़ रुपये का रिफंड न दिए जाने को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी. तब चीफ जस्टिस ने हल्के लहजे में कहा था, ‘अच्छे बच्चे बनकर पैसे जमा कर दो.’ 

यह है मामला: य़ह मामला नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रुप के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स से जुड़े लगभग 30 हजार बायर्स को समय पर फ्लैट नहीं देने का है। पिछले साल सितंबर में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने 10 अगस्त को ही कंपनी को दिवालिया कैटिगरी में डालने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद उन घर खरीददारों के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं, जिन्होंने अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स में इन्वेस्ट किया है और अब तक पोजेशन का इंतजार कर रहे हैं। इसमें जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। 

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