चांद-सितारे वाले हरे झंडे पर बैन लगाने वाली शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें शीर्ष अदालत ने केंद्र से पक्ष रखने को कहा है. बता दें याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस झंडे का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है.
नई दिल्ली: चांद-सितारे वाले हरे झंडे पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पक्ष रखने को कहा है. उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने यह याचिका कोर्ट में दाखिल की थी जिसमें कहा गया है कि चांद सितारे वाला हरे झंडे का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है. दरअसल, ये पाकिस्तान की पार्टी मुस्लिम लीग का झंडा है. जिसे पाकिस्तान के कायदे आजम कहलाए जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने इजाद किया था. इस मामले में सु्प्रीम कोर्ट में दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी.
याचिकाकर्ता वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि ऐसे संस्थानों, व्यक्तियों और धार्मिक संस्थाओं के खिलाफ करवाई की जाए जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग वाले झंडे लहरा रहे हैं, क्योंकि ये इस्लामिक झंडे नही हैं. वसीम रिजवी ने कहा कि इस झंडे का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है. याचिका में उन्होंने कहा है कि मुसलमानों व इस्लाम धर्म में हरे रंग और चांद सितारा इस्लाम अभिन्न अंग नहीं हैं.
शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने यह याचिका अप्रैल 2018 में दाखिल की थी. जिन्होंने ऐसे लोगों पर भी कार्यवाई की मांग की थी जो ऐसा झंडा फहराते हैं. याचिकाकर्ता वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में झंडे के बारे में इतिहास बताते हुए यह तक कहा था कि पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने कारवां में सफेद या काले रंग के झंडे का इस्तेमाल करते थे.
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