SC ने 2016 में कहा था संविधान सभा की सिफारिश से अनुच्छेद 370 होगा खत्म, अब गिनाए फायदे

नई दिल्ली। आर्टिकल-370 की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज (11 दिसंबर) ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने का केंद्र सरकार का फैसला संविधान के दायरे में था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो 2016 में एक मामले की सुनवाई के दौरान संविधान सभा को लेकर अहम टिप्पणी की थी। अब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये जरूरी नहीं था कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी किया जाए।

क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

आज इस मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी करें। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है।

2016 में क्या बोला था SC ने?

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही अनुच्छेद 370 खत्म होगा। भारतीय स्टेट बैंक बनाम संतोष गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट 2002 के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह अधिनियम जम्मू एंड कश्मीर ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1920 से टकराता है, जो जम्मू-कश्मीर के लिए विशिष्ट कानून है।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संघ के कानून को बरकरार रखा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 के क्रियान्वयन के लिए कोई निश्चित समयसीमा का उल्लेख नहीं है। ये प्रावधान तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि इसे समाप्त करने के लिए संविधान सभा की तरफ से सिफारिश नहीं की जाती।

कैसे निरस्त हुआ अनुच्छेद 370?

अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को हटा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस बात की जानकारी दी। अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजन कर दिया गया, जिसमें से एक जम्मू-कश्मीर तो दूसरा लद्दाख बना। अमित शाह ने संसद में कहा था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान लिंग, वर्ग, जाति और मूल स्थान के आधार पर भेदभाव करने वाले हैं। उन्होंने कहा था कि युवाओं को राजनीतिक अभिजात वर्ग के जरिए धोखा दिया जा रहा है। ये प्रावधान अस्थायी था और इसको जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए हटाना होगा।

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