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दिल्ली में प्रदूषण घटाने का एक्शन प्लान सुप्रीम कोर्ट में मंजूर, डीजल और बीएस 6 गाड़ियों पर जनवरी में सुनवाई

हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की फैक्ट्रियों में पेटकोक और फर्रनेस आयल के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

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Supreme Court approved Action plan to reduce pollution in Delhi
  • December 13, 2017 2:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए विस्तृत एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने सीमेंट फैक्ट्रियों और लाइम फैक्ट्रियों में सरकार के कडे नियमों के तहत पेट कोक के इस्तेमाल की इजाजत दी है. अब कोर्ट डीजल और बीएस 6 गाडियों पर जनवरी में सुनवाई करेगा. वहीं केंद्र सरकार ने थर्मल पावर प्लांट के लिए नार्म्स लागू करने के लिए 2022 तक का वक्त मांगा है.

आज सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर विस्तृत एक्शन प्लान को मंजूरी दी. सुप्रीम कोर्ट ने सीमेंट फैक्ट्रियों और लाइम फैक्ट्रियों में सरकार के कडे नियमों के तहत पेट कोक के इस्तेमाल की इजाजत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने थर्मल पावर प्लांट में फरनेस आयल के इस्तेमाल की एक साल यानी 31 दिसंबर 2018 तक इस्तेमाल की इजाजत दी है. साथ ही केंद्र सरकार ने थर्मल पावर प्लांट के लिए नार्म्स लागू करने के लिए सात साल 2022 तक का वक्त मांगा है.

हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की फैक्ट्रियों में पेटकोक और फर्रनेस आयल के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में थर्मल पॉवर प्लांट और सीमेंट की फैक्ट्री में फर्रनेस आयल और पेटकोक के इस्तेमाल की इजाज़त दी जाए.

केंद्र सरकार ने कहा कि थर्मल पॉवर प्लांट में फर्रनेस आयल के इस्तेमाल से बहुत ही कम मात्रा में प्रदूषण फ़ैलता है.केंद्र सरकार ने कहा कि पॉवर प्लांट को शुरू करने के लिए और बंद करने के लिए फर्रनेस आयल की जरूरत होती है. ऐसे में इसको इजाज़त दी जाए. वही सीमेंट बनाने के लिए पेटकोक की जरूरत होती है. सरकार ने कहा कि पेटकोक को जलाया नही जाता बल्कि इसे सीमेंट में मिलाया जाता है इस लिए इसकी इजाजत दी जाए. केंद्र सरकार ने कहा कि वो पेटकोक के आयात पर रोक को लेकर विचार कर रही है.

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