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समझौते की छह महीने की अवधि माफ कर सुप्रीम कोर्ट ने दंपति का कराया त्वरित तलाक

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में छह महीने की समझौते की अवधि खत्म कर दंपति का त्वरित तलाक करा दिया. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस मामले पर कहा कि पति पत्नी दोनों ही शिक्षित हैं और दोस्ताना तरीके से अलग रहने का निर्णय कर चुके हैं. ऐसे में इस मामले में कोई गुंजाइश नहीं रह जाती कि इन्हें छह महीने की समझौते की अतिरिक्त अवधि दी जाए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 की अतिरिक्त शक्ति का प्रयोग किया.

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Supreme Court allows couple to part ways as friends
  • October 1, 2018 11:01 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत मिलने वाली अतिरिक्त पावर का इस्तेमाल करते हुए तलाक के एक मामले में छह महीने की समझाने की अवधि खत्म करते हुए अलगाव करा दिया. यह दंपत्ति अपनी खुशी से अलग होना चाहता था. दोनों के बीच ऐसी कोई शिकायत नहीं थी जिस पर मामला छह महीने समझाने का मौका देकर रोका जा सके. इसलिए इस मामले में अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 की विशिष्ट शक्ति का इस्तेमाल किया और छह महीने की अनिवार्य अवधि को खत्म करते हुए त्वरित तलाक दे दिया.

इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की खंडपीठ ने कहा कि दंपति ने अपनी शादी को खत्म करने का फैसला बतौर मित्र लिया है. दोनों पक्षों के आरोपों का इतिहास देखता हुए नहीं लगता कि इन्हें छह महीने का समय दिया जाए. उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अपनी शक्तियों का अपने क्षेत्राधिकार में इस्तेमाल करने का अधिकार देता है. अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि उसके सामने आए हरेक लंबित मामले को सुलझाना उसका फर्ज है.

फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि पति-पत्नी दोनों हमारे सामने हैं, ये दोनों वेल एजुकेटेड हैं. हमने उनके साथ लंबे समय तक पूछताछ की. इनके साथ बात करने के बाद हम संतुष्ट हैं कि ये दोनों दोस्ताना तरीके से अलग होना चाहते हैं. इन्हें अलग करने के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय देने का कोई नहीं है. ऐसे में इन्हें बगैर कूलिंग पीरियड के ही अलग होने की अनुमति दी जाती है.

पति ने पत्नी को साढ़े बारह लाख का डिमांड ड्राफ्ट भी सौंप दिया. इस दंपति की शादी 2016 में दिल्ली में हुई थी. विवाह के कुछ दिन बाद से ही दोनों अलग रह रहे थे. इस दौरान उन्होंने तलाक के लिए याचिका दायर कर दी. 2017 में गुजरात के आनंद में महिला ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. पति-पत्नि दोनों उच्च शिक्षित हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कूलिंग पीरियड हटाकर तलाक को मंजूरी दे दी.

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