नई दिल्ली। EWS यानी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा संस्थानों में प्रवेश व नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाली योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारासे मुहर लगा दी। आपको बता दें 2022 में इस योजना को संविधान में शामिल किया गया था। जिसके बाद इस पर पुनर्विचार करने के […]
नई दिल्ली। EWS यानी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा संस्थानों में प्रवेश व नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाली योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारासे मुहर लगा दी। आपको बता दें 2022 में इस योजना को संविधान में शामिल किया गया था। जिसके बाद इस पर पुनर्विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई।
पिछले वर्ष 7 नवम्बर 2022 को आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को 3- 2 के बहुमत से पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सही ठहराते हुए संविधान के 103वें संशोधन को मान्य किया था। जिसके विरोध में कई याचिकाएं दाखिल हुई जिन्हे 9 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए EWS पर दोबारासे मुहर लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने EWS पर दोबारामुहर 9 मई 2023 को लगाते हुए सभी विरोधी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट के नियम के अनुसार पुनर्विचार पर फैसला वहीं पीठ लेगी जिसने 2022 में इसे सही ठहराया था। हालांकि इस पीठ में जस्टिस ललित के सेवानिवृत्त होने के कारण प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पीठ को शामिल किया था । जिसके आदेश की प्रति मंगलवार यानी 16 मई को उपलब्ध हुई है।
इस फैसले पर दोबारामुहर लगाने वाले लोगों में से बस जस्टिस ललित के सेवानिवृत्त होने के कारण उनकी जगह प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सभी पुनर्विचार याचिकाओ पर फैसला सुनाया गया। इन पांच न्यायाधीशों में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला शामिल थे।
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