नई दिल्ली। टाइटैनिक का डूबना समुद्री इतिहास की सबसे बड़ी घटना है. आज भी लोग टाइटैनिक के मलबे को देखने जाते हैं और इसके लिए सभी करोड़ो रुपए खर्च करते हैं. आइए जानते हैं कि लोग टाइटैनिक को देखने क्यों जाते हैं.
टाइटैनिक जहाज 14 अप्रैल साल 1912 में अपने पहले सफर पर निकला था और यही इसका आखिरी सफर साबित हुआ. जिस दौर में टाइटैनिक बनकर तैयार हुई थी, उस दौर में इस जहाज का बहुत ज्यादा क्रेज था. आज टाइटैनिक के डूबने के कुल 112 साल बाद भी लोगों के दिलों में इसके लिए काफी पागलपन हैं. टाइटैनिक को लेकर कई सारी मूवी बन चुकी हैं. यही वजह है कि हादसे को 1 सदी से ज्यादा हो जाने के बाद भी टाइटैनिक लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है.
14 अप्रैल साल 1912 में उस समय दुनिया की सबसे बड़ी पानी की जहाज टाइटैनिक अपने पहले सफर पर निकला. इस जहाज पर हजारों लोग सवार थे. जहाज इंग्लैंड के साउथ कैप्टन से अमेरिका की न्यूयार्क की ओर बढ़ रही थी. अटलांटिक महासागर में अंधेरी रात के वक्त टाइटैनिक एक बड़े आइसबर्ग यानी हिमखंड से टकराकर ये डूब गया. हादसे के वक्त जहाज की रफ्तार 41 किलोमीटर प्रति घंटे की थी. अपने सफर की शुरुआत के मात्र 3 घंटे के अंदर ही टाइटैनिक हादसे का शिकार हो गया.
टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने गए पांच अरबपतियों को अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है. वे जिस टाइटन पनडुब्बी में सवार हैं अब उसका ऑक्सीजन भी खत्म हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइटन पनडुब्बी में आज शाम 6:30 बजे तक की ऑक्सीजन बची थी. पनडुब्बी के सर्च ऑपरेशन में 10 से अधिक जहाज और सबमरीन्स जुटी हुई हैं लेकिन उम्मीदें अब धुंधली होती जा रही हैं. ऐसे में अब अनहोनी की आशंका बढ़ गई है.
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