नई दिल्ली: बात जब इंजीनियरिंग करने की हो तो हर किसी की पहली ख्वाहिश होती है आईआईटी। क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि एक बार IIT में दाखिला हो गया तो फिर करियर सेट हो जाता है। एक समय था जब कैंपस प्लेसमेंट की शुरूआत होने से पहले ही नौकरी देने वाली कंपनियों की पंक्तियां […]
नई दिल्ली: बात जब इंजीनियरिंग करने की हो तो हर किसी की पहली ख्वाहिश होती है आईआईटी। क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि एक बार IIT में दाखिला हो गया तो फिर करियर सेट हो जाता है। एक समय था जब कैंपस प्लेसमेंट की शुरूआत होने से पहले ही नौकरी देने वाली कंपनियों की पंक्तियां लग जाती थी। हालांकि आज हालात पहले से बहुत अलग है। एक RTI के हवाले से पता चला है कि 2024 में सभी IIT के 23 परिसरों में लगभग 38 प्रतिशत पासआउट छात्रों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।
आईआईटी दिल्ली में एकेडमिक सत्र 2023-2024 का प्लेसमेंट सेशन खत्म होने वाला है। आरटीआई के अनुसार लगभग 400 स्टूडेंट्स को अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली है। जिसकी वजह से स्नातक छात्रों को नौकरी दिलाने के लिए आईआईटी अपने प्रतिष्ठित एल्यूमिनी नेटवर्क की भी मदद ले रहे हैं। धीरज सिंह के द्वारा डाली गई आरटीआई के अनुसार पिछले साल 329 छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिली थी और 2022 के बैच से 171 स्टूडेंट्स को पक्की नौकरी नहीं मिल पाई।
RTI के अनुसार इस साल सभी 23 आईआईटी में 7000 से ज्यादा आईआईटी स्टूडेंट्स को कैंपस प्लेसमेंट के जरिए नौकरी मिलना बाकी है। दो साल पहले इसकी संख्या आधी यानी 3400 थी। जहां प्लेसमेंट में बैठने वाले छात्रों की संख्या में 1.2 गुना का इजाफा हुआ है, वहीं दो साल में नौकरी मिलने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी होकर 2.3 गुना हो गई है। एकस्पर्ट्स के मुताबिक हर जगह प्लेसमेंट 20 से 30 प्रतिशत की कमी आई है, अगर कोई संस्थान यह कह रहा है कि सभी स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट दे दिया गया है तो नौकरियों की गुणवत्ता में बहुत कमी रह जाती है। यह पहला साल है जब ChatGpt और बड़े लैंगवेज मॉडल ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। अगर दो लोग तीन लोगों का काम करने की क्षमता रखते हैं तो पहले से ही काम पर रखने में 30 प्रतिशत की कमी आ रही है।
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