उत्तर प्रदेश, Deputy CM Brajesh Pathak यूपी में लगातार दूसरी बार बीजेपी सत्ता में आई है और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने है जिन्होंने लगातार दूसरी बार पार्टी की कमान बतौर मुख्यमंत्री के रूप में संभाली है. इससे पहले जब भी कोई पार्टी प्रदेश में रिपीट हुई है तो उसके मुख्यमंत्री दूसरे कार्यकाल में बदले है. योगी कैबिनेट में इस बार 22 मंत्रियों को हटाया गया हैं, जबकि कई नए और युवा चेहरों को पार्टी में शामिल किया गया हैं। इस बार नई सरकार में दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.
योगी सरकार की नई कैबिनेट में जिस नाम की चर्चा सबसे ज़्यादा हो रही है वो नाम है ब्रजेश पाठक, क्योंकि ब्रजेश पाठक न तो पार्टी के साथ लम्बे समय से जुड़े हैं और न ही उनका कोई संगठनात्मक बैकग्राउंड है. तो ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कैसे ब्रजेश पाठक तमाम खांटी भाजपाई नेताओं को पीछे छोड़कर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बन गए. दरअसल, ब्रजेश पाठक को लेकर कहा जाता है कि वो जिस दिशा में हवा बहती है, उसी दिशा को अपनी नौका घुमा लेते है. बहाव के साथ चलने की उनकी पुरानी आदत है. कभी कांग्रेस के साथ रहे ब्रजेश पाठक ने साल 2016 में बसपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था और महज 6 साल ही बीते हैं और वह प्रदेश के डिप्टी सीएम बन गए हैं।
इसके साथ ही एक दिलचस्प बात यह है कि जो ब्रजेश पाठक आज बीजेपी के नेता है वो एक समय में योगी आदित्यनाथ के कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी के करीबी रहे हैं। साल 1989 में वे लखनऊ यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष बने थे और फिर 1990 में छात्र संघ अध्यक्ष बन गए थे। ऐसा कहा जाता है की उनकी इस जीत के पीछे उस समय विनय तिवारी का हाथ था और उन्होंने ही ब्रजेश पाठक की मदद की थी. हालही में विनय तिवारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि कहा कि शायद ब्रजेश पाठक ऐसे पहले नेता हैं, जो भाजपा के बैकग्राउंड से नहीं आते हैं और इतना बड़ा पद हासिल किया है।
उन्होंने बताया कि भले ही ब्रजेश पाठक लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन संगठन में अच्छे हैं। उन्हें संगठन में लोगों के बीच रहना और बातो को समझना आता है. इसके साथ ही विनय तिवारी ने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि वह हमेशा एक अच्छे मौसम वैज्ञानिक रहे हैं।
ख़बरों के मुताबिक ब्रजेश पाठक और विनय तिवारी एक साथ ही बसपा से जुड़े थे। विनय तिवारी ने इस विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. एक समय था जब हरिशंकर तिवारी औैर उनके परिवार की साख ब्राह्मण चेहरे के रूप में गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों में बनी हुई थी, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं रहा. वहीं ब्रजेश पाठक को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ही योगी कैबिनेट में शामिल कर लिया गया है। ब्रजेश पाठक को साल 2017 में कानून मंत्री बनाया गया था. हरदोई के मल्लावां के रहने वाले ब्रजेश पाठक के पिता एक होम्योपैथिक डॉक्टर थे। यहीं से उन्होंने 2002 में पहला विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन महज 150 वोटों के अंतर से हार गए थे।
इसके बाद ब्रजेश पाठक ने हवा का रुख पहचाना और बसपा में शामिल हो गए। जिसके बाद उन्होंने उन्नाव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली पहुंच गए। इस दौर में बीएसपी की नेता मायावती बहुजन से आगे निकलकर सर्वजन की बातें करनी लगी थीं। इस जीत के बाद वह मायावती के करीबी नेताओं में शामिल हो गए थे। 2009 में वह राज्यसभा भी गए, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें एक बार फिर समझ आ गया था कि बसपा के दिन भी अब खत्म हो रहे है और आने वाले समय बीजेपी का है. फिर वह 2016 में भाजपा में शामिल हो गए।
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