अहमदाबाद. गुजरात में बने दुनिया के सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का बुधवार (31 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनावरण करेंगे. सरदार वल्लभ भाई पटेल यानी लौह पुरुष जिनकी जयंती पर उनकी प्रतिमा का उद्धघाटन किया जाएगा. यह मूर्ति दुनिया में सबसे ऊंची 182 मीटर व अनूठी है. जिसे लेकर अभी से गूगल पर खूब सर्च किया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा की 10 बड़ी व अनोखी बातें.
1) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जुड़े तथ्य: सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस प्रतिमा का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है. यह न्यूयॉर्क के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी बताई जा रही है. इस मूर्ति के पैर की ऊंचाई 80 फिट तो हाथ की ऊंचाई 70 फिट है. वहीं इस मूर्ति के चेहरे की ऊंचाई 70 फिट ऊंची है. यह वडोदरा के पास नर्मदा जिले में स्थित सरदार सरोवर के केवाड़िया कॉलोनी गांव में स्थित है.
2) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण, शिल्पकला – इस मूर्ति का निर्माण पद्म भूषण से सम्मानित राम वी सुतार की देखरेख में हुआ. राम वी सुतार का नाम शिल्पकला के क्षेत्र में देश में ही नहीं विदेश में भी मशहूर है. महाराष्ट्र के एक गाँव गोंदूर में रहनेवाले राम वी. सुतार ने ही संसद भवन परिसर में लगी महात्मा गांधी की 17 फिट ऊंची मूर्ति का निर्माण किया था. साथ ही सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (SVPRET) ने प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी L&T कंपनी को दी थी.
3) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी निर्माण में कितना हुआ खर्च: मीडिया रिपोट्स के अनुसार सरदार पटेल की मूर्ति बनाने में 1,347 करोड़ रुपये का खर्च आया है. जिसमेंसे 235 करोड़ प्रदर्शनी हॉल व म्युजियम में खर्च किए गए. इसके अलावा 83 करोड़ रुपये पुल के बनाने में और 657 करोड़ रुपये निर्माण के पूरा हो जाने के बाद 15 साल तक रखरखाव के लिए खर्च किए जाएंगे.
4) सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला कब रखी गई- सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति की आधारशिला 31 अक्टूबर 2013 को रखी गई थी. गुजरात में सरदार पटेल की 138वीं वर्षगांठ के मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी थी.
5) सिर्फ सबसे ऊंची ही नहीं सबसे जल्दी बनकर बनने वाली भी मूर्ति है यहः इस मूर्ति को तैयार होने में कुल 60 महीने यानी 5 साल का समय लगा. यह मूर्ति दुनिया की सबसे लंबी मूर्ति तो है ही साथ ही यह सबसे कम समय में बनने वाली विशालतम प्रतिमा भी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चीन की प्रतिमा स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध को बनने में 90 साल की वक्त लगा था.
6)स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का लोहा देश भर से किया गया इकट्ठा- इस प्रतिमा को बनाने के लिए किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार औजारों को इकट्ठा किया गया. बीजेपी ने लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 6 लाख गांवों से करीब 5000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा किया गया था.
7) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 85 फीसदी लगा तांबा- इस प्रतिमा को बनाने में चार धातुओं का निर्माण किया गया जिसमें जिंक, लेड और टीन शामिल है. इन चारों धातुओं के मिश्रण के बाद यह कई सालों तक यह प्रतिमा खराब नहीं होगी. रिपोर्ट्स के अनुसार इन चारों धातुओं में से 85 फीसदी तांबा का प्रयोग हुआ है.
8) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए दो टाइप के होंगे टिकट- इस स्टैच्यू को देखने के लिए दो टाइप के टिकट व एंट्री पास होंगे जिसकी कीमत 30 रुपये से 380 रुपये है. 380 रुपये वाली टिकट में लोगों को 30 रुपये बस का किराया और 350 रुपये मूर्ति देखने का देना होगा. इस मूर्ति में दो लिफ्ट है जहां से 182 मीटर ऊंची मूर्ति के 153 मीटर की ऊंचाई पर भव्य गैलरी देख सकेंगे. वहीं एक टिकट के लिए 150 रुपये देने होंगे जिसके लिए 120 रुपये पास के और 30 रुपये बस किराए के देने होंगे लेकिन इस रेट में लोग मूर्ति के पास तो जा सकेंगे लेकिन ऊपर नहीं जा पाएंगे.
9) देश की सबसे ऊंची मूर्ति है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी- इस मूर्ति के साथ ही भारत ने इस रिकॉर्ड को कायम कर लिया है. जानिए दूसरे, तीसरे और चौथ स्थान पर कौन सी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाएं हैं.
1) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (भारत): 182 मीटर
2) स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध (चीन): 153 मीटर
3) यू्शिकु दाईबुत्शु (जापान): 120 मीटर
4) स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (अमेरिका): 93 मीटर
5) द मदरलैंड कॉल्स (रूस): 85 मीटर
10) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को तेज तूफान या भूंकप भी नहीं हिला पाएंगे- इस प्रतिमा को बनाने में तकनीक व डिजाइन का खास ध्यान रखा गया है. तेज भूंकप व 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा का कुछ नहीं बिगाड़ सकती.
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