नई दिल्ली. Srishti Got Help पिछले कुछ समय से देश में एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी सुर्खियों में बनी हुई है. यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों को होती है जिसमें स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं है. इस बीमारी से […]
नई दिल्ली. Srishti Got Help पिछले कुछ समय से देश में एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी सुर्खियों में बनी हुई है. यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों को होती है जिसमें स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं है. इस बीमारी से छत्तीसगढ़ के कोरबा में रहले वाली सृष्टि पीड़ित है, जिसके लिए उसे पिता पाई-पाई जोड़कर उसके ईलाज के प्रयास में लगे है.
कोल इंडिया ने दी मंजूरी
सृष्टि को जन्म के बाद से ही परेशानियां होने लगी, जिसके बाद सृष्टि के पिता ने उसे सीएमसी वेल्लोर में भर्ती कराया जहां पर डॉक्टर ने उन्हें बताया की सृष्टि को ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) है. इसके इलाज के लिए उसे ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन लगाने की जरूरत होगी, जो भारत में नहीं मिलता है. सृष्टि के पिता कोयला खदान में काम करते है, जैसे ही यह बात एसईसीएल को मिली उन्होंने इस सन्दर्भ में कोल् इंडिया को पत्र लिखा और मदद के लिए कहा. एसईसीएल के प्रस्ताव पर कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने बुधवार को स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिससे अब मासूम बच्ची के इलाज का रास्ता साफ़ हो गया है. एसईसीएल कर्मी की बेटी को बचाने के लिए 16 करोड़ स्र्पये के इंजेक्शन लगाने की स्वीकृति दे दी है। आपको बता दें इस बीमारी के इलाज के लिए सिर्फ अमेरिका द्वारा अनुमोदित एक इंजेक्शन है. जिसे अब भारत द्वारा मंगाया जाएगा।