अहमदाबाद: गाँधीनगर कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला अनुयायी से रेप के मामले में दोषी करार दिया है। आसाराम बापू को अगस्त 2013 में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जोधपुर ले जाया गया था। आसाराम को गाँधीनगर सत्र न्यायालय ने साल 2013 में सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आसाराम कुल कितनी संपत्ति के मालिक है?
आपको बता दें, आसाराम ने 1972 में आध्यात्मिक साम्राज्य तैयार करना शुरू किया। इसके लिए अहमदाबाद से 10 किलोमीटर दूर मोटेरा शहर को चुना गया। उन्होंने अपना केबिन साबरमती नदी के तट पर तैयार किया। सबसे पहले, गुजरात गाँव के निवासियों की एक भीड़ मिलने लगी। सबसे पहले भाषणों, देसी दवाओं और भजनों से गरीब, पिछड़े और आदिवासी समूहों को रिझाने का सिलसिला शुरू हुआ। धीरे-धीरे आसाराम का प्रभाव पड़ोसी राज्यों के मध्यम वर्ग में बढ़ने लगा।
इसके बाद आसाराम का आध्यात्मिक साम्राज्य धीरे-धीरे कई राज्यों तक फैला गया । प्रवचन के नाम पर मुफ्त भोजन वितरण से श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी। आसाराम की आधिकारिक वेबसाइट का दावा है कि दुनियाभर में उनके चार करोड़ अनुयायी मौजूद हैं। आसाराम ने अपने बेटे नारायण साईं के साथ देश और विदेश में 400 आश्रमों का साम्राज्य स्थापित किया।
बाबा ने धीरे-धीरे अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना शुरू किया। 1990 से 2000 तक कई राजनेता भक्तों की सूची में शामिल हुए। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और मोतीलाल वोरा समेत कई नेता शामिल थे।
मिली जानकारी के मुताबिक आसाराम के पास फिलहाल 10 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति है। अब दोबारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद बड़ा सवाल यह है कि उस संपत्ति का क्या होगा? राजस्व और गुजरात विभाग और केंद्रीय राज्य प्रवर्तन निदेशालय ने भी जाँच की। जाँच में कई काले धंधे सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, आश्रम के निर्माण के लिए अवैध तरीक़े से ज़मीन हड़पने की बात आदि।
कहा जाता है कि हत्या के आरोप से बरी होने के बाद आसुमल ने वीजापुर छोड़ दिया था। वह अहमदाबाद के सरदारनगर इलाके में बस गए। यह 60 का दशक था। फिर आसाराम को जानने का दावा करने वालों ने आसुमल के अतीत के बारे में चौंकाने वाली बातें बताईं। उन्हीं में से एक काडूजी ठाकोर बताते हैं कि कभी वे और आसुमल दोस्त थे, काडूजी कहते हैं कि तब आसुमल शराब का धंधा करता था। इस धंधे में आसुमल के चार पार्टनर थे। नाम थे जमरमल, नथुमल, लचरानी और किशन मल, ये सभी सिंधी थे। काडूजी के मुताबिक, ये सभी उसकी दुकान से शराब खरीदते थे, जिसे आसुमल बाजार में बेचकर मोटा मुनाफा कमाता था।
आपको बताते चलें, आसुमल की माँ स्वभाव से आध्यात्मिक थीं। कहा जाता है कि यह उनकी माँ का प्रभाव था जिसने उन्हें आध्यात्मिकता की ओर धकेला। आसुमल पहले कुछ तांत्रिकों के संपर्क में आया। आसुमल ने उन तांत्रिकों से सम्मोहन की कला भी सीखी। उन्होंने भाषण देना भी शुरू किया, लेकिन तब तक उन्हें इस कला में पूरी तरह से महारत हासिल नहीं हुई थी, अध्यात्म की पंक्ति में उनका मामला जम गया था। भीड़ और भक्त उन्हें बापूजी कहने लगे। हालाँकि आसुमल को अध्यात्म की ओर बढ़ता देख उनके परिवार वाले चिंतित हो गए। जिसके आसुमल की शादी तय की गई।
आसाराम की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, आसुमल शादी से बचने के लिए घर से भाग गए थे। जिसके बाद वह परिवार के लोगों को 8 दिन बाद भरूच के एक आश्रम में उनसे मिले। आखिर में आसुमल को अपने परिवार के सामने झुकना पड़ा। उन्होंने लक्ष्मी देवी से विवाह किया।
मिली जानकरी के मुताबिक फिर साबरमती नदी के किनारे आसाराम ने कच्चा आश्रम बनाया था। धीरे-धीरे आसाराम अपने भाषणों से लोकप्रिय होने लगे। भक्त उनके साथ जुड़ने लगे। फिर वह समय आया जब आसाराम भी टेलीविजन पर आने लगे। उनके टेलीविजन भाषण लोकप्रिय होने लगे। पूरे देश में भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। देश भर में फैले आश्रमों की संख्या भी 400 तक पहुंच गई। आसाराम देश के महान आध्यात्मिक नेताओं के समूह में शामिल हो गए।
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