नई दिल्ली: सब्जियों के बाद अब मसालों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. पिछले महीने से जीरा के भाव में भारी उछाल दर्ज किया गया है. आशंका जताई जा रही है कि बाकी के सभी मसालों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं. पिछले कुछ दिनों से सब्जियां काफी महंगी मिल रही थी […]
नई दिल्ली: सब्जियों के बाद अब मसालों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. पिछले महीने से जीरा के भाव में भारी उछाल दर्ज किया गया है. आशंका जताई जा रही है कि बाकी के सभी मसालों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं.
पिछले कुछ दिनों से सब्जियां काफी महंगी मिल रही थी लेकिन अब आशंका जताई जा रही है कि मसालों की कीमतों में भी आग लग सकती है. कुछ मसालों की कीमतों में पिछले वर्ष मुकाबले इस साल डबल डिजिट में बढ़ोतरी देखने को मिली है. दोनों वर्षों की कीमतों का आकलन करने पर जानकारी प्राप्त हुई है कि सबसे अधिक जीरा की कीमतों में इजाफा हुआ है. जीरा की कीमतें वार्षिक तोर पर पिछले महीने लगभग 75 फीसदी से बढ़ गई है. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि महंगे मसाले लोगों के खाने का स्वाद ख़राब कर सकते हैं.
विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गिरते उत्पादन और नियमित मौसम की स्थिति के कारण मसालों की कीमतें बढ़ रही हैं. जीरा की कीमतों में राहत फिलहाल नजर नहीं आएगी क्योंकि इसकी फसल वर्ष में केवल एक बार ही होती है और इस वर्ष जीरा की फसल को करीब 30 से 40 फीसदी तक क्षति हुई है.
जानकारों के मुताबिक़, ओलावृष्टि और बेमौसम भारी बारिश कारण हल्दी जैसे कई मसालों की बुआई में भारी गिरावट देखने को मिली है. बिपरजॉय की वजह से राजस्थान में धनिया बेल्ट का सफाया हो गया. कम बारिश के कारण तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सूखी मिर्च का उत्पादन प्रभावित हुआ है. रिपोर्ट्स के अनुसार मसालों की कीमतों में जनवरी 2023 के बाद से नरमी देखने को मिली थी, उस वक्त सालाना आधार पर मसालों के भाव में 21 फीसदी की महंगाई थी. वहीं पिछले महीने मसालों की कीमतों में एक बार फिर से तेज़ी आई है.
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) की जानकारी के अनुसार इस वर्ष की शुरुवात से ही जीरा के दाम में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, जीरा उत्पादन वर्ष 2019-20 में 9.12 लाख टन (LT) से घटकर वर्ष 2020-21 में 7.95 लाख टन और 2021-22 में 7.25 लाख टन हो गया.
भारत दुनिया में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा उत्पादक है. इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में भारत के जीरा उत्पादन में क्रमशः गुजरात और राजस्थान का 55.5 और 43.9 प्रतिशत का योगदान रहता है.