अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में नरेंद्र मोदी का यह फैसला सुनकर फूल गए SPG के हाथ-पांव

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का शुक्रवार शाम स्मृति स्थल पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. वाजपेयी का पार्थिव शरीर बीजेपी मुख्यालय से स्मृति भवन तक लाया गया तो सुरक्षा के भारी इंतजाम थे. पीएम मोदी के एक डिसीजन के चलते एसपीजी ने सुरक्षा इंतजाम कड़े किए थे.

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अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में नरेंद्र मोदी का यह फैसला सुनकर फूल गए SPG के हाथ-पांव

Aanchal Pandey

  • August 18, 2018 5:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का शुक्रवार को स्मृति स्थल पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनका पार्थिव शरीर बीजेपी मुख्यालय से स्मृति स्थल तक करीब 4 किमी के रास्ते से लाया गया था. इस दौरान हजारों लोग वाजपेयी की अंतिम यात्रा में शरीक हुए. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फैसले ने उनके सुरक्षा दस्ते के हाथ पांव फुला दिये थे.

दरअसल, वाजपेयी की अंतिम यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पैदल चलने का फैसला किया तो एसपीजी के लिए मुश्किल की स्थिति पैदा हो गई. वे कुछ समझ नहीं पाए. इस पर एसपीजी ने शव यात्रा के रूट को एक अभेद किले में तब्दील कर दिया. 4 किमी के इस रूट पर पीएम मोदी पैदल ही स्मृति स्थल तक पहुंचे. पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह वाजपेयी की अंतिम यात्रा में पैदल चलते नजर आए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसपीजी को जब पीएम मोदी के फैसले का पता चला तो इसके तुरंत बाद दिल्ली पुलिस के गुप्तचर तैनात कर दिए गए. सेना, और अर्द्धसैनिक बलों की टीम ने मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को को अपने घेरे में ले लिया. साथ ही खुफिया एजेंसी (IB) ने दिल्ली पुलिस के कुछ जवानों को सफेद टोपी पहनाकर कार्यकर्ता के तौर पर भीड़ में शामिल कर दिया गया. अमित और पीएम मोदी के चारों तरफ एसपीजी ने एक घेरा बना लिया. वहीं, दिल्ली पुलिस के जो जवान सादा वर्दी में शामिल थे उन्होंने एसपीजी के बाहर एक मानव श्रंखला बना रखी थी.

स्मृति वन स्थल में भी सेना, नेवी और वायुसेना के जवानों को तैनात किया गया था. इसके अलावा बहादुरशाह जफर मार्ग और आसपास के इलाके में 50 शार्प शूटर तैनात किए गए. शहीदी पार्क के पास एसपीजी ने कुछ दूर के लिए पीएम मोदी को गाड़ी के अंदर बैठा लिया. हालांकि, मोदी दरियागंज सिग्नल पर दोबारा गाड़ी से उतर गए. राष्ट्रीय स्मृति स्थल की सुरक्षा भी एकदम चाक चौबंद थी.

स्मृति स्थल की सुरक्षा को 5 भागों में बांटा गया था. जिसकी जिम्मेदारी डीसीपी रैंक के अधिकारियों को दी गई थी. इसके अलावा 12 जोन बनाए गए थे जिसकी जिम्मेदारी एसीपी रैंक के अधिकारियों को दी गई थी. हर जोन 65 सेक्टर में बांटा गया था और इनकी जिम्मेदारी इंस्पेक्टरों को दी गई थी. दिल्ली पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बलों और रिजर्व पुलिस की 9 कंपनियां भी सुरक्षा में तैनात थीं. 14 एसीपी, 67 इंस्पेक्टर, 233 उच्च और 1084 उसके नीचे का स्टाफ पीएम की सुरक्षा में तैनात था.

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