नई दिल्ली. स्पीकर के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा उम्मीदवार उतारने के साथ ही इंडिया गठबंधन की आपसी कलह भी खुलकर सामने आ गई है. टीएमसी और एनसीपी कांग्रेस से खफा है कि बिना राय मशविरे के उसने जल्दीबाजी में स्पीकर के लिए उम्मीदवार उतार दिया.
उधर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और सागरिका घोष आप नेत्री और मंत्री आतिशी के अनशन का समर्थन करने पहुंच गई. जबकि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद आप से नाता तोड़ लिया था और साफ कर दिया था कि गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था. विधानसभा चुनाव दोनों अलग-अलग लड़ेंगे. पंजाब में लोकसभा चुनाव अलग अलग ही लड़े थे.
स्पीकर के लिए आम सहमति न बनने पर एनडीए ने पुराने स्पीकर ओम बिरला को फिर से स्पीकर बनाने का फैसला किया है जबिक इंडी गठबंधन ने कांग्रेस सांसद के सुरेश का नामांकन कराया है. जब सुरेश का नाम आया तो ऐसा लगा कि विपक्ष ने आपस में बातचीत करके यह फैसला किया होगा लेकिन जैसे ही ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का बयान आया कि स्पीकर उम्मीदवार उतारने से पहले टीएमसी से बात नहीं की गई, अंदर की कलह बाहर आ गई.
राहुल गांधी से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सबसे बात की थी. अभिषेक बनर्जी के बयान की तरफ जब उनका ध्यान खींचा गया तो वह संविधान की दुहाई देने लगे. इतना ही नहीं दिल्ली में पानी संकट को लेकर मंत्री आतिशी अनशन पर बैठी है लेकिन कांग्रेस आप से मुंह मोड़े हुए है. उधर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा व सागरिका घोष आतिशी से मिलने और समर्थन देने पहुंच गईं.
टीएमसी ही नहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी कांग्रेस के फैसले की आलोचना कर दी. उन्होंने कहा है कि स्पीकर हमेशा सत्ता पक्ष का होता है. साथ में यह भी जोड़ा दिया कि उन्हें नहीं पता कि विपक्ष का स्पीकर उम्मीदवार कौन है. उन्होंने भी सलाह मशविरे की बात से इनकार किया. मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव में 98 सीटें हासिल करने के बाद कांग्रेस उत्साह में है और वह विपक्ष को अपने हिसाब से लीड करना चाहती है जबकि टीएमसी-एनसीपी-आप इसके लिए तैयार नहीं है.
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी अलग अलग चुनाव लड़ी थी और टीएमसी को 29 और कांग्रेस को एक सीट मिली जबकि भाजपा को 12. चुनाव के दौरान राहुल गांधी जब पश्चिम बंगाल में न्याय यात्रा निकाल रहे थे तब ममता बनर्जी उन्हें रास्ता तक देने को तैयार नहीं थीं. बहुत मान मनौव्वल के बाद उनकी यात्रा निकली थी. लोकसभा चुनाव में विपक्ष काफा मजबूत होकर उभरा है, कांग्रेस को 98, टीएमसी को 29 औक सपा को 37 सीटें मिली है लेकिन राहें और मकसद अलग-अलग है. इससे कमजोर भाजपा को ऑक्सीजन मिल रहा है.
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