नई दिल्ली। चुनाव के बाद संसद का पहला सत्र चल रहा है। सभी नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों का शपथ ग्रहण हो चुका है और स्पीकर भी चुन लिया गया है। लेकिन इसी बीच सेंगोल को लेकर हंगामा शुरू हो गया है। दरअसल राजद और समाजवादी पार्टी ने संसद से सेंगोल हटाने की मांग की है। जिसे […]
नई दिल्ली। चुनाव के बाद संसद का पहला सत्र चल रहा है। सभी नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों का शपथ ग्रहण हो चुका है और स्पीकर भी चुन लिया गया है। लेकिन इसी बीच सेंगोल को लेकर हंगामा शुरू हो गया है। दरअसल राजद और समाजवादी पार्टी ने संसद से सेंगोल हटाने की मांग की है। जिसे लेकर सियासत गर्मा गई है। सपा ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए उसे हटाकर उसकी जगह पर संविधान की पुस्तक स्थापित करने की मांग की है।
सपा के राज्यसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। अपने पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने यहां पर सेंगोल स्थापित कर दिया। सेंगोल का अर्थ होता है राजा का डंडा। देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडे से। संविधान हटाने के लिए मैं संसद से सेंगोल हटाने की मांग करता हूं। आरके चौधरी के बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जब इसे स्थापित किया गया था तो प्रधानमंत्री मोदी ने इसके सामने सिर झुकाया था। अब जब पीएम ने शपथ ली है तो वो इसे भूल गए।
सेंगोल के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी को कांग्रेस और राजद से भी समर्थन मिला है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने सपा की मांग की सही बताया है। राजद सांसद मीसा भारती ने कहा कि सदन में सेंगोल का क्या काम है? इसलिए इसे हटा देना चाहिए। इधर इस राजनीति पर बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि सेंगोल राष्ट्र का प्रतीक है, अब इसको कोई नहीं हटा सकता है। केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि ये लोग( विपक्ष) चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह का बयान देते हैं।
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