Soil Health Card Yojana: भारत सरकार ने किसानों के हित में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को लागू किया है. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना 17 फरवरी 2015 को लागू किया गया था. इस योजना के तहत किसानों को उनके खेत की मिट्टी से संबंधित जानकारियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया जाएगा. इस रिपोर्ट कार्ड की मदद से किसान अपनी फसल की क्वालिटी को बढ़ा सकेंगे.
नई दिल्ली: किसान को उसकी फसल की अच्छी पैदावार के लिए सबसे जरूरी होती है मिट्टी. अगर मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी नहीं होगी तो फसल की क्वालिटी भी अच्छी नहीं होगी. इसी संबंध में मोदी सरकार ने फरवरी 2015 में किसानों से संबंधित Soil Health Card Yojana यानी कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत भारत सरकार किसानों को सोइस कार्ड जारी करती है, जिससे किसान को मिट्टी की गुणवत्ता का पता चल सके और उसकी फसल उत्तम क्वालिटी की हो. सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम के अनुसार सरकार का तीन साल के अंदर पूरे भारत में लगभग 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
सॉइल हेल्थ कार्ड योजना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद योजना है. जो किसान अशिक्षित हैं वे लोग इस योजना के तहत मिलने वाले कार्ड के माध्यम से अपनी फसल को बेहतर कर सकते हैं. मूल रूप से ऐसे किसानों को नहीं पता होता है कि कौन सी मिट्टी में क्या तत्व होतें हैं जो फसल की गुणवत्ता पर असर डालते हैं. इसी समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने 17 फरवरी 2019 को सॉइल हेल्थ कार्ड योजना Soil Health Card Yojana की शुरुआत की. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को उनकी मिट्टी का स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा, जिसमें किसानों की जमीन की मिट्टी के बारे में जानकारी होगी कि मिट्टी किस प्रकार की है और अधिक लाभ के लिए किसान इसमें कौन सी फसल को पैदा कर सकते हैं. सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों की मिट्टी का रिपोर्ट कार्ड है. इसमें मिट्टी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी.
Soil Healh Card Yojana: सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम की विशेषताएं
Information Available in Soil Health Card: सॉइल हेल्थ कार्ड में मिट्टी के बारे में ये जानकारिया दी जाएंगी
How Soil Health Card Yojana Works: कैसे काम करेगी मृदा स्वास्थ्य योजना
सॉइल हेल्थ योजना के तहत एक टीम किसान की जमीन की मिट्टी के सैंपल को इकट्ठा करेगी. इसके बाद मिट्टी के सैंपल को लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा. मिट्टी की जांच के बाद वैज्ञानिक मिट्टी की जांच के परिणाम का अध्ययन करेंगे. इसके बाद मिट्टी में क्या कमी है और क्या खूबियां है इसकी सूची बनाई जाएगी. मिट्टी में जो कमियां हैं उनको दूर करने के लिए वैज्ञानिकों की ओर से सुझाव भी दिए जाएंगे. इसके बाद सबसे अंत में इन सभी जानकारीयों को सॉइल हेल्थकार्ड में समायोजित कर किसानों को जारी किया जाएगा.
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप ऑफिशियल वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर जा सकते हैं.