नई दिल्ली. सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. इस केस में सीबीआई स्पेशल कोर्ट अपना फैसला 21 दिसंबर को सुनाएगी. इस मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और एक साल बाद इस केस का गवाह तुलसीराम प्रजापति मारे गए थे. ये एक फर्जी मुठभेड़ थी. दरअसल एक छोटे से गुंडे सोहराब्द्दीन शेख को 2005 में गुजरात के गांधीनगर के पास गुजरात पुलिस अफसरों ने मार गिराया था. मुठभेड़ में शामिल गुजरात पुलिस अफसरों ने सोहराबुद्दीन को आतंकी बताकर इस मुठभेड़ को अंजाम दिया था. इस मुठभेड़ में उसकी पत्नी कौसर बी को भी मार दिया गया था.
मुठभेड़ के समय सोहराबुद्दीन और कौसर के साथ तुलसीराम प्रजापति भी था. बाद में वो इस केस का चशमदीद गवाह बना. एक साल बाद तुलसीराम प्रजापति भी मारा गया. जांचकर्ताओं ने कहा कि ये हत्याएं उन लोगों को चुप करवाने के लिए की गई जो एक रंगदारी रैकेट में महत्वपूर्ण थे. ये कथित तौर पर वो रंगदारी रैकेट था जो तीन राज्यों- गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की पुलिस अपने राजनीतिक मालिकों के आदेश पर चला रही थीं.
इस मामले की प्रारंभिक जांच सीआईडी ने की थी. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने ये जांच सीबीआई को सौंप दी थी. बुधवार को सीबीआई के वकील बीपी राजू ने कहा कि अहम गवाह सुनवाई के दौरान अपने बयान से पलट गए इसी के बाद जांच में रुकावट आई. इस मामले की सुनवाई 2012 सिंतबर में गुजरात से मुंबई भेज दी गई थी. 2014 में भाजपा अध्यक्ष को इस केस में क्लीन चीट दे दी गई थी. मामले में गुजरात-राजस्थान के चार पुलिस वालों और गुजरात के एंटी-टेरेरिज्म के प्रमुख डीजी वंजरा को भी क्लीन चीट मिली. अभी इस मामले में 22 पुलिस अफसरों का नाम हैं जिनपर सुनवाई 21 दिसंबर को की जाएगी.
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