प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर समाजसेवी अन्ना हजारे ने नरेंद्र मोदी सरकार को 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर अनशन करने की धमकी दी है. इसके साथ ही उन्होंने चिट्ठी में पीएम मोदी के 4 साल के कार्यकाल में किए गए वादों को याद दिलाया है. अन्ना हजारे ने कहा है कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
नई दिल्ली. समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को उनके पुराने वादे याद दिलाते हुए 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर अनशन शुरु करने की धमकी दी है. अन्ना हजारे ने कहा है कि उन्होंने पीएम मोदी की चार साल की सत्ता में कई बार प्रधानमंत्री जी को पत्र का जवाब दिया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. अन्ना हजारे ने कहा कि पीएम मोदी बस कहते रहे कि आपका पत्र मिला लेकिन दिए हुए आश्वासन के बारे में कुछ नहीं कहा गया.
अन्ना हजारे ने कहा कि जवाब न मिलने पर उन्होंने पीएम मोदी को आंदोलन का इशारा भी दिया था. जब कोई भी कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने शहीद दिवस 23 मार्च 2018 को दिल्ली के राम लीला मैदान में अनशन करना शुरू किया. गौरतलब है कि अन्ना हजारे का यह आदोंलन 6 दिनों तक चला और 7वें दिन उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा आश्वासन मिलने पर अनशन तोड़ दिया था. इस दौरान महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस अन्ना हजारे मिलने पहुंचे थे. अनशन खत्म कर अन्ना हजारे ने कहा था कि फसल की कीमतों की मांगे, केंद्र में लोकायुक्त और राज्य में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मागों के मामलों में सरकार जल्द कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गई है.
गौरतलब है कि अन्ना हजारे ने पीएमओ को पत्र लिखकर कहा है कि “महोदय, प्रधानमंत्री और आपकी सरकार ने चुनाव के प्रचार सभाओं में और चुनाव के अजेंडा मे भी आश्वासन दिया था की, हमारी सरकार सत्ता में आती है तो हम देश के किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे. किसानों को हर फसल के खर्चे पर आधारीत देड गुना ज्यादा दाम देंगे और बजेट भाषण में भी घोषणा की थी. हमारी सरकार सत्ता मे आती है तो केंद्र मे लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ती करेंगे. देश में ज्यादा से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज बनाएंगे. इस प्रकार के कई आश्वासन दिए थे.
हमने आपकी सरकार के चार साल की सत्ता में बार बार प्रधानमंत्रीजी को पत्र लिखा था. उसपर प्रधानमंत्रीजीने पत्र का जवाब तक नहीं दिया. प्रधानमंत्री सिर्फ आपका पत्र मिला इतना ही जवाब देते रहे. लेकिन दिए हुए आश्वासन के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया. मजबूर हो कर मैंने प्रधानमंत्रीजी को दिल्ली मे आंदोलन करने का इशारा भी दिया था. फिर भी कोई कार्यवाही ना होने के कारण मैंने शहिद दिन 23 मार्च 2018 को दिल्ली के रामलिला मैदान मे अनशन करने का निर्णय लिया और उसके बारे मे प्रधानमंत्री जी को पत्र भी दिया था.
प्रधानमंत्री जी और सरकार ने उचीत कार्यवाही ना करने के कारण मै 23 मार्च 2018 को मेरा अनशन रामलिला मैदान मे शुरु किया. तब मैंने तय किया था कि अब यह आंदोलन आर-पार की लड़ाई होगी. 23 मार्च 2018 को रामलिला मैदान मे मेरा अनशन शुरु हुआ था उसमे खुद के लिए, मेरे गांव के लिए, मेरे रिश्तेदारों के लिए कोई मांग नहीं रखी थी. सिर्फ किसानों के प्रश्न और देश में बढते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल, लोकायुक्त को लेकर आंदोलन किया था.
25 साल की उम्र में मैंने व्रत लिया है की, जब तक जीना है तब तक समाज और देश की सेवा करना है. और जिस दिन मरना है तब तक समाज और देश की सेवा करते हुए मरना है. इसलिए लोकपाल, लोकायुक्त मांग को लेकर 16 ऑगस्ट 2011 को दिल्ली के रामलिला मैदान में 14 दिन तक अनशन किया था. इस बार भी उसी बात को सोचकर मैंने 23 मार्च 2018 को अनशन शुरु किया था. अनशन के दुसरे दिन 24 मार्च 2018 को अखबार मे पढ़ा था की आंदोलन में शामिल होने वाले आंदोलनकारियों की पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा की बसे, गाड़ियां रास्ते मे रोक दी गई हैं.
दिल्ली की तरफ आनेवाली कई रेल की गाडीयां रद्द की गई हैं. 2011 के आंदोलन में 50 से 60 कॅमेरामन रात दिन आंदोलन को प्रसारित कर रहे थे. लेकिन इस आंदोलन में सिर्फ 2 कॅमेरे थे. इस कारण 2011 के आंदोलन की तुलना में भीड़ कम रही थी. लेकिन भीड़ से मेरा कोई मतलब नही था. ऐसे करने से अन्ना हजारे को कोई नुकसान नही होने वाली थी. लेकिन नुकसान हुआ देश की जनता का. यह बात ऐसे करने वालों के ध्यान मे नहीं आई. फिर भी मैंने यह तय किया था की किसान और लोकपाल की लड़ाई आर-पार की लड़ाई समझकर करनी है.
2011 के तुलना में इस आंदोलन में भले ही भीड़ कम थी. लेकिन 13 राज्यों में आंदोलन शुरू हुए थे. क्योंकी लोकशिक्षा और लोकजागरूकता के लिए मैनें जनवरी से लेकर दो माह में 20 राज्यों में 40 सभाएं की थी. इस कारण जागरूकता आई थी. जो किसान दिल्ली में नही आ पाए उन्होंने अपने राज्य में आंदोलन शुरू किए थे. 23 मार्च 2018 के अनशन के 3 दिन के बाद आश्वासन दे कर अनशन तोड़ने का सरकार का प्रयास शुरु हो गया. महाराष्ट्र के एक मंत्री दिल्ली मे रुककर केंद्र सरकार से समन्वय रखकर प्रयास करते रहे.
चर्चा में कुछ मुद्दे अधुरे होने के कारण मैंने कई सुझाव स्वीकार नहीं किए. अनशन के 7 वें दिन सरकार ने हमारे मांगे मान ली जो की किसानों के हित मे थे. लोकपाल, लोकायुक्त देश की जनता के हित में थे. इस आंदोलन मे विविध राज्यों से बडे पैमाने पर किसान और किसान संगठन आंदोलन में शामिल हुए थे. अनशन के सातवें दिन प्रधानमंत्री जी कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंहजी ने अपने हस्ताक्षर में निम्न मुद्दों पर आश्वासन दिया था.
1 ) मुद्दा – केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री मा. डॉ. जितेंद्र सिंहजी के हस्ताक्षर में निम्न बातों पर लिखीत आश्वासन दिया गया.
आश्वासन – किसानों के फसल को सही दाम मिले इसलिए केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को स्वायत्तता प्रदान की जाए. इसके बारे में सरकार ने कृषि मूल्य आयोग को स्वायत्तता देने के बारे में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर के सरकार सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है. सरकार ने न्युनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) 50 फीसदी ज्यादा तय करने का और डेढ़ गुना जादा दाम देना तय किया लेकिन देश के हर राज्यों के कृषि मूल्य आयोग कि रिपोर्ट भारत के केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को जाती है.
केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग राज्य कृषि मूल्य आयोग के निर्धारीत किए दाम में 40 से 50 प्रतिशत कटौती करती है. क्योंकी इसमें केंद्रीय कृषि विभाग का हस्तक्षेप होता है. इसमें कृषि विभाग का हस्तक्षेप ना हो इसलिए कृषि मूल्य आयोग को स्वायत्तता देना जरूरी है. साथ-साथ इस आयोग में दो या तीन सदस्य देश के अनुभवी किसान सदस्य होना आवश्यक है. तभी किसानों को खेती पैदावारी के खर्चा पर आधारित दाम मिल पाएंगे.
2 ) मुद्दा – न्युनतम समर्थन मुल्य (एम.एस.पी.) निर्धारीत करते समय लागत मुल्य से 50 फीसदी ज्यादा तय करने के बारे मे सरकार ने निर्णय लिया है. न्युनतम समर्थन मुल्य (एम.एस.पी.) लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा. जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें दुसरे श्रमिक के परीश्रम का मूल्य, मवेशी और मशिन, या किराए पे लिए गए मशीन या मवेशी का खर्चा, बीज का मूल्य, सभी तरह के खाद का मूल्य, सिंचाई का मूल्य, फसल का मूल्य हर हर्बीसाइड मूल्य, विडींग, प्लोइंग खर्चा, लैंड रेव्हिन्यू हो तो उसका मूल्य, बिजली का मूल्य, वर्किंग कैपिटल खर्चा पर दिया गया ब्याज, लीज पर जमीन लिया हो तो उसका किराया आदी अन्य खर्च 50 फीसदी मुल्य मे शामिल है.
आश्वासन – आपके सुझाव के तहत फल, सब्जी आदी के स्टोरेज के लिए केंद्र सरकार 6000 करोड रुपयों का कोल्ड स्टोरेज बनाने का प्रावधान किया गया है.
3) मुद्दा – चुनाव सुधार पर आश्वासन.
आश्वासन – उम्मीदवार के नाम के आगे फोटो रखना है. फोटो को ही चिन्ह मानना है. दुसरा चिन्ह नहीं होना चाहिए. राईट टू रिजेक्ट, नोटा पर उम्मीदवार से ज्यादा वोट होता है तो दोबारा चुनाव लिया जाए. कम वोट मिलनेवाले उम्मीदवार को दोबारा चुनाव लडने की इजाजत ना हो. राईट टू रिकॉल और यह सभी प्रश्न चुनाव आयोग के अधीन होने के कारण चुनाव आयोग के पास भेज देंगे.
4) मुद्दा – सरकार आपके द्वारा दूध के दामो में वृद्धी करके दिए गए सुझाव का ध्यान रखा जाएग. खेती पर निर्भर 60 साल की उम्र के किसानों को 5 हजार रुपये पेंशन मिले.
आश्वासन – विद्यमान वृद्धा पेन्शन योजना के बारे मे लाभार्थीयों की पात्रता और दिए जानेवाली राशी के पुर्नविलोकन हेतु समिती गठीत की जाएगी, समिती का रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्यवाही की जाएगी.
5) मुद्दा – स्वामीनाथन आयोग की शिफारशीयों को लागु किया जाए.
आश्वासन – स्वामीनाथन आयोग की शिफारशीयों के मुताबीक केंद्र सरकार ने लागत मुल्य पर 50% ज्यादा न्युनतम समर्थन मुल्य, (एम.एस.पी.) तय करने का निर्णय लिया है.
6) मुद्दा – लोकपाल, लोकायुक्त नियुक्ती करने के बारे में दिया हुआ आश्वासन.
आश्वासन – लोकपाल सिलेक्शन कमेटी में प्रतिष्ठीत कानूनविद का पद रीक्त है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सिलेक्शन कमेटी की बैठक 1 मार्च 2018 को हुई है. 1 मार्च के बैठक मे कमेटी ने कानूनविद के चयन हेतु मानदंडोंपर चर्चा की और कमेटी ने जल्दी ही मिलने का निर्णय लिया है. ताकी किसी कानूनविद का चयन किया जा सके. लोकपाल, लोकायुक्त की नियुक्ती करने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को कई बार फटकार लगाई है. यह बात सरकार के लिए अशोभनीय है. अभी फिर से दस दिन में प्रतिज्ञा पत्र देन के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने बताया है. सरकार ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पालन नहीं करती है. यह न्यायालय का अवमान लगता है।
7) मुद्दा – लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 63 और 44 के संशोधन के बारे मे आश्वासन
आश्वासन – सभी संबंधीतों से चर्चा करके जल्द से जल्द उचीत कार्यवाही की जाएगी. लोकपाल, लोकायुक्त नियुक्ती के संबंध मे जल्द से जल्द यथा संभव कार्यवाही की जाएगी. अनशन के 7 वे दिन सरकार ने क्या क्या करना है इसका निर्णय लिया. हमने उसको पढ़ा और अनशन तोडने का निर्णय लिया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री मा. देवेंद्रजी फडनवीस अनशन तोडने के लिए महाराष्ट्र से आए थे. भारत सरकार के कृषि राज्यमंत्री शेखावतजी, महाराष्ट्र के मंत्री गिरीषजी महाजन जी, कुछ किसान संघटनाओं के और आंदोलनकारियों के उपस्थिती मे 29 मार्च 2018 के शाम को मैंने मेरा अनशन तोड़ दिया.
अनशन तोडने के बाद मैंने 2 बार स्मरणपत्र दिए लेकिन आश्वासन पर क्या कार्यवाही चल रही है इस बारे मे कोई जानकारी नहीं मिली. इसलिए यह तीसरा स्मरणपत्र भेज रहा हूं. और याद दिला रहा हूं की, दिए हुए आश्वासनों का पालन 2 अक्टूबर 2018 तक नहीं हुआ तो मैं मजबूर हो कर फिर से मेरे गांव राळेगणसिद्धी में मेरा आंदोलन शुरु कर रहा हूं.”
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