नई दिल्लीः लंबे समय के इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां बर्फबारी नहीं होने से निराश पर्यटक अब इसका आनंद लेते दिखाई दे रहे हैं। बर्फबारी से सैलानियों के साथ ही स्थानीय लोगों के चेहरे भी खिलते नजर आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंदनाग और […]
नई दिल्लीः लंबे समय के इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां बर्फबारी नहीं होने से निराश पर्यटक अब इसका आनंद लेते दिखाई दे रहे हैं। बर्फबारी से सैलानियों के साथ ही स्थानीय लोगों के चेहरे भी खिलते नजर आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंदनाग और रामबन समेत हिमाचल प्रदेश के शिमला और मनाली में भी खूब बर्फबारी देखने को मिल रही है। कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें पर्यटक बर्फबारी के कारण से बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
उत्तराखंड में लंबे समय के इंतजार के बाद पहाड़ी इलाके बर्फबारी से सफेद हो गए। उत्तरकाशी के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारकांठा, हर्षिल व देहरादून के चकराता समेत ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई तो पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है। फरवरी के पहले हफ्ते में भी कई बार बारिश-बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है। इस दौरान 2,500-3,000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में एक से डेढ़ फुट तक की बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है बारिश और बर्फबारी से तापमान पर कुछ अधिक असर देखने को नहीं मिलेगा, जबकि मैदान से लेकर पहाड़ तक लोगों को सूखी ठंड से राहत होगी।
जानकारी के लिए बता दें महीनों तक बर्फबारी नहीं होने के कारण से कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पर्यटक स्थलों की सुंदरता को खतरा पैदा हो गया था। इसपर चिंता जताई जा रही थी। यहां तक कि लद्दाख और हिमाचल में भी बर्फबारी नहीं हो रही थी। ऐसे इलाके जो ठंड की शुरुआत में ही बर्फ से ढक जाते हैं वहां बिल्कुल सूखे जैसे हालात देखने को मिल रहे थे। इसकी फोटोज भी सामने आईं थीं जिसमें पहले और बाद की स्थिति को दिखाया गया था।
बर्फबारी न होने का कारण वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है और इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में वृद्धि भी है। इसकी वजह अल नीनो को भी कहा जा रहा है. वेस्टर्न डिस्टर्बेंस में ईरान और अफगानिस्तान से हवाएँ चलती हैं। ये हवाएँ अपने साथ नमी लाती हैं। जब ये हवाएँ पहाड़ों पर पहुँचती हैं तो बर्फबारी का कारण बनती हैं। इस साल वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बेहद कमजोर रहा है.
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