नई दिल्ली. इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर एनआईए तक 10 केंद्रीय एजेंसियों को अब जासूसी करने का अधिकार प्राप्त हो गया है. ये एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और स्टोर्ड इन्फॉर्मेशन को मॉनिटर या इंटरसेप्ट कर सकती हैं. गृह मंत्रालय ने 20 दिसंबर को यह आदेश जारी किया है. जिन एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है, उनमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीबीआई, एनआईए, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर टैक्सेज, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और असम के लिए) और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर शामिल हैं.
देश की 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर को चेक करने का अधिकार मिल गया है. नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है. लोगों का कहना है कि यह आदेश आम जनता की प्राइवेसी में दखल है. कैसे कोई एजेंसी किसी के मकान में घुसकर उसके कंप्यूटर को खंगाल सकती है.
@iamkumarpra प्रमोद कुमार नामक यूजर ने लिखा कि सरकार आपके कम्प्यूटर में मौजूद कुछ भी पढ़ सकती है,ऐसा इसलिए किया गया है अगर आपने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने,विरोध करने की हिम्मत की,पार्टी के भीतर भी असहमति जताई तो आपको दबाया,डराया जा सके।नये भारत में स्वागत है जिसमें सब संदिग्ध हैं और सरकार के निशाने पर हैं.
कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भी कहा कि इन एजेंसियों को फोन टैप करने, कंप्यूटर्स चेक करने की छूट देना खतरनाक है. ऐसे ताकतों का हमेशा गलत इस्तेमाल होता है.
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