मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर बैच में 50-50 लड़कियां को शामिल किया गया है। ये ट्रेनिंग सरकार द्वारा IDPD के लिए बनाए गए राहत शिविरों में आयोजित किया जा रहा है।
नई दिल्ली : मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। कुछ दिनों पहले मैतेई समुदाय की महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई। इस हिंसा से पूरे राज्य में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस बीच एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि मणिपुर में 15 से 20 साल की लड़कियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
रिपोर्ट की मने तो, मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर बैच में 50-50 लड़कियां को शामिल किया गया है। ये ट्रेनिंग सेंटर रहत शिविर में मणिपुर के याइथिबी लौकोल,थाना खोंगजाम, जिला काकचिंग में खेले गए हैं। ये ट्रेनिंग सरकार द्वारा IDPD के लिए बनाए गए राहत शिविरों में आयोजित किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों की ट्रैनिंग पूरी होने के बाद उन्हें सीधे संगठन में शामिल नहीं किया जाता है। NIA द्वारा जांच में पाया गया कि मणिपुर में बिगड़ते माहौल के पीछे म्यांमार से मणिपुर में हो रही हथियारों की तस्करी भी एक बड़ा कारण है। यह जानकारी NIA द्वारा दायर एक चार्जशीट से सामने आई है।
मणिपुर में जातीय संघर्ष की पहली घटना 3 मई 2023 को सामने आई थी। तब से अब तक कुकी-मीतेई दोनों समुदायों के कुल 240 लोग मारे जा चुके हैं और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है, लेकिन इस महीने की शुरुआत में जिरीबाम में तीन महिलाओं और उनके तीन बच्चों की हत्या के बाद से बवाल और बढ़ गया है। जिरीबाम की घटना के विरोध में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और प्रदर्शनकारियों ने हाल के दिनों में कई विधायकों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की है। जिरीबाम में पुलिस की गोली से एक प्रदर्शनकारी की मौत का भी आरोप है।
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