नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPIM के अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने गुरुवार शाम को अपनी अंतिम सांस ली। 72 वर्ष के येचुरी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। येचुरी के निधन के बाद उनके परिवार ने निर्णय लिया कि उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नही होगा। बॉडी को AIIMS को दान में दिया जाएगा ताकि उसको रिसर्च और एचुकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
सीताराम यचुरी का परिवार, पार्टी और प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहते हैं। इसलिए उनके पार्थिव शरीर को 14 सितंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक कार्यालय में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा जिसके बाद उसे वापस एम्स को सौंप दिया जाएगा। येचुरी की बॉडी को दान में देने की खबर मिलते ही लोगों के मन में कई सवाल हैं। हम आपके सवालों का जवाब देंगे।
एम्स के अधिकारियों ने बताया, ‘सबसे पहले फॉर्मेलिन का इस्तेमाल करके बॉडी को ठीक किया जाता है। इसका मतलब है कि बॉडी को ऐसी प्रक्रिया से गुजारा जाता है जिसके बाद बॉडी में कोई बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा नहीं होते। इससे बॉडी लकड़ी के टुकड़े जैसी हो जाती है और बॉडी खराब नहीं होती। इसके बाद एमबीबीएस के पहले साल के छात्र जो प्री-क्लीनिकल विषय से होते हैं उन्हें शवों पर एनाटॉमी का अध्ययन कराया जाता है।’
डॉक्टर ने कहा, ‘बार-बार हवा के संपर्क में आने की वजह से एक समय ऐसा आता है जब शव को नष्ट करना पड़ता है। इस स्थिति में शव को फिर से परिवार को सौंप दिया जाता है। जब शव परिवार को दिया जाता है तो शरीर की बनावट बदल जाती है। आमतौर पर कुछ महीनों के बाद शव को परिवार को सौंप दिया जाता है। कुछ महीनों तक ही शव पर रिसर्च की जाती है।’
आपको बता दें कि कई जगहों पर शव को वापस करने की बजाय या तो जला दिया जाता है या फिर दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। इसके बाद अगर परिवार चाहे तो उन्हें अस्थियां या राख दे दी जाती है।
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