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सीताराम येचुरी का निधन, अब करोड़ों की संपत्ति का असली वारिस कौन?

कितनी संपत्ति छोड़ गए हैं सीताराम येचुरी? भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में दिल्ली

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सीताराम येचुरी का निधन, अब करोड़ों की संपत्ति का असली वारिस कौन?
  • September 12, 2024 8:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: कितनी संपत्ति छोड़ गए हैं सीताराम येचुरी? भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी संपत्ति और परिवार को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। सीताराम येचुरी अपने पीछे लगभग 82 लाख रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं।

सीताराम येचुरी की संपत्ति

सीताराम येचुरी के बैंक खाते में 34 लाख रुपये से अधिक की राशि थी। उन्होंने कुछ कंपनियों में बांड, डिबेंचर और शेयरों में 3.5 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश किया था। उनके पास 20 लाख रुपये की एलआईसी पॉलिसी और अन्य बीमा पॉलिसी भी थीं। उनके पास कोई आधिकारिक गाड़ी नहीं थी, लेकिन 5 लाख रुपये के गहने और लगभग 19.75 लाख रुपये की लैंड प्रॉपर्टी उनके नाम पर थी।

कौन होगा उनका वारिस?

सीताराम येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती, बेटी अखिला और बेटा दानिश हैं। उनकी पहली पत्नी इंद्राणी मजूमदार से उनके दो बच्चे थे, जिनमें से उनके बेटे आशीष का 2021 में निधन हो गया था। दूसरी शादी उन्होंने पत्रकार सीमा चिश्ती से की, जिनसे उन्हें एक बेटा हुआ। कानूनन, उनकी संपत्ति के वारिस उनकी पत्नी और बच्चे होंगे।

सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल से की। बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बी.ए. (ऑनर्स) किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्य बने।

1975 में आपातकाल के दौरान सीताराम येचुरी को जेल भी जाना पड़ा। आपातकाल हटने के बाद, उन्होंने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में तीन बार चुनाव जीता। 1984 में वे सीपीआई-एम केंद्रीय समिति के सदस्य बने और 1992 में उन्हें पार्टी के पोलित ब्यूरो के रूप में चुना गया। उन्होंने 2015 से 2022 तक पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया। सीताराम येचुरी के निधन से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिकाएं निभाईं और वामपंथी विचारधारा को मजबूती दी। उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया जाएगा।

 

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