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भाई मनमोहन को आखिरी बार नहीं देख पाएंगी बहन गोविंद कौर, कोलकाता में फूट-फूटकर रो रहीं, देखें वीडियो

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार-26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। इस बीच पूर्व पीएम का पार्थिव शरीर उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह शांत और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जिसके कारण उन्हें उनके राजनीतिक विरोधी भी उनका सम्मानित करते थे।

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Manmohan Singh-Govind Kaur
  • December 27, 2024 5:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 17 hours ago

कोलकाता/नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार-26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। इस बीच पूर्व पीएम का पार्थिव शरीर उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मनमोहन जी के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

बहन नहीं कर पाएंगी अंतिम दर्शन

बता दें कि मनमोहन सिंह की बहन गोविंद कौर अपने भाई के अंतिम दर्शन नहीं कर पाएंगी। गोविंद अभी कोलकाता में स्थित अपने घर पर हैं। बताया जा रहा स्वास्थ्य कारणों से वह दिल्ली नहीं पाएंगी। मनमोहन के निधन के बाद गोविंद कौर का एक वीडियो सामने है। इस वीडियो में वह अपने बेड पर फूट-फूटकर रोते हुए नजर आ रही हैं।

देखें वीडियो-

विरोधी भी करते थे सम्मान

डॉ. मनमोहन सिंह शांत और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जिसके कारण उन्हें उनके राजनीतिक विरोधी भी उनका सम्मानित करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में वह भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के रूप में 1985 से 1987 तक कार्य किया। इसके साथ ही, वह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर भी रहे, जहां उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता थे।

आर्थिक सुधारों में अहम रोल

आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से जुड़े कई फैसले किए, जिनसे देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली।

इसके साथ ही, उन्हें कई प्रमुख सम्मान मिले, जिनमें 1987 में पद्म विभूषण, 1993 में एशिया मनी अवार्ड, 1995 में जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड सहित अन्य कई पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां भी मिली।

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