नई दिल्ली: रविवार को दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने बवाली बयान दिया। इस बवाली टिप्पणी के बाद भारत में इस्लाम के आगमन पर एक नई बहस छिड़ गई है। आपको बता दें, जमीयत उलमा-ए-हिंद के आमसभा के तीसरे दिन उन्होंने इस्लाम पर खूब बड़ी-बड़ी बातें कीं। उन्होंने कहा कि […]
नई दिल्ली: रविवार को दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने बवाली बयान दिया। इस बवाली टिप्पणी के बाद भारत में इस्लाम के आगमन पर एक नई बहस छिड़ गई है। आपको बता दें, जमीयत उलमा-ए-हिंद के आमसभा के तीसरे दिन उन्होंने इस्लाम पर खूब बड़ी-बड़ी बातें कीं। उन्होंने कहा कि जब न श्रीराम थे और न शिव, तो मनु किसकी पूजा करते थे? मौलाना मदनी के इस बयान पर एक घमासान मच गया है।
आपको बता दें, मौलाना अरशद मदनी यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह भी कहा कि आदम पहला इंसान है, वह आसमान से नीचे आया और जिसे हम मनु कहते हैं, अंग्रेज उसे एडम कहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब न श्रीराम थे और न शिव, तो मनु किसकी इबादत करते थे? जिसे तुम ॐ कहते हो उसी को हम अल्लाह कहते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने अधिवेशन में RSS प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए कहा कि “अल्लाह और ओम दोनों एक ही हैं।” मदनी ने कहा कि हमारी धरती पर सबसे पहले आदम और मनु थे। एक ने ओम गाया तो दूसरे ने अल्लाह की इबादत की। मनु की दहलीज़ पर सिर टिकाए हम कहाँ जाएँ?
ऐतिहासिक तथ्यों पर नज़र डालें तो भारत में इस्लाम का आगमन 6ठी या 7वीं सदी में हुआ माना जाता है। 629 के समय से, इस्लाम को मानने वाले भारतीय देश में आ गए थे। बताया जाता है कि उस वक़्त वे अरब के व्यापारी थे। वे यहाँ आकर भारत की संस्कृति में बस गए। सबसे पहले, बड़ी तादाद में अरब व्यापारी भारत के पश्चिमी तट जैसे गुजरात में आए। पश्चिम के अलावा वे केरल जैसे दक्षिणी भाग और फिर बंगाल की धरती तक भी पहुँचे।
इस्लाम के जानकारों का कहना है कि मोहम्मद स0 की 632 में अरब में इंतकाल हुआ। जिसके बाद इस्लाम का विस्तार हुआ और भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों में इसकी चर्चा होने लगी। मोहम्मद स0 जिन जगहों पर गए उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया। वहाँ की सियासत में अपनी पैठ बनाई।
भारत में अरब कारोबारियों के आ जाने के बाद, मुहम्मद बिन कासिम ने 712 में देश के सिंध भाग पर आक्रमण किया जिसे सबसे पहला और घातक हमला कहा जाता है। उस मुकाबले में कासिम ने तत्कालीन प्रतापी राजा दाहिर को हराया था। इससे पूर्व भी भारत पर करीब 14 बार खलीफाओं ने आक्रमण किया था। कासिम के आक्रमण के बाद भारत में इस्लाम की जड़ें मजबूत होने लगीं और फैलने लगी।
आपको NCERT की किताब के हवाले से बता दें कि इस्लाम लगभग एक साथ भारत और स्पेन पहुँचा। साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमूने के तौर पर रियाद के सुल्तान सलमान-बिन-अब्दुल अजीज अल सऊद को चेरामन जुमा मस्जिद की प्रतिकृति भेंट की थी। माना जाता है कि केरल में यह त्रिशूर मस्जिद वर्ष 629 के आसपास बनाई गई थी। यह मस्जिद भारत में इस्लाम के आगमन की निशानी है।
हम आपको बता दें, कासिम के आने के बाद लंबे समय तक भारत में कोई मुस्लिम आक्रमण नहीं हुआ। 1000 ई. में अफगान सुल्तान महमूद गजनबी ने भारत पर आक्रमण किया। यह हमला भी काफी घातक था। इतिहासकार अली नदीम रिजवी के अनुसार, इस्लाम भारत में पहले व्यापार करने और फिर हमला करने आया था। भारतीय इतिहास में वर्णित प्रमुख इस्लामी हमलों में मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनबी, मोहम्मद गोरी और बाबर का नाम आता है। इसके आक्रमणों से भारत में इस्लाम का प्रसार हुआ।