आजादी के बाद से बिहार में अब तक सिर्फ 62 महिलाएं ही हुईं हैं लोकसभा पहुंचने में कामयाब

पटना/नई दिल्ली: आजादी के बाद से देश में 17 लोकसभा चुनाव अभी तक हो चुके हैं. इन चुनावों में अभी तक बिहार की 62 महिलाएं ही सांसद बनी हैं. इनमें से कुछ महिलाएं ऐसी भी जो चार बार सांसद बनी है. आइए जानते हैं बिहार से कौन-कौन सी महिला नेता संसद पहुंचने में कामयाब हुईं हैं.

– 1952 में देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव में पटना पूर्वी सीट से तारकेश्वरी देवी और भागलपुर दक्षिणी से सुषमा सेन सांसद चुनकर पहली बार लोकसभा पहुंची थीं.

– 1957 के चुनाव में ये संख्या पांच पहुंच गई, उस समय बांका से शकुंतला देवी,बाढ़ से तारकेश्वरी देवी, वहीं नवादा से सत्यभामा देवी, चतरा से विजया राजे और हजारीबाग से ललिता राज्य लक्ष्मी चुनी गई थीं.

– वहीं 1962 के हुए चुनाव में महिलाओं का एक बार फिर प्रतिनिधित्व बढ़ा. कटिहार से प्रिया गुप्ता तो बांका से शकुंतला देवी, वहीं बाढ़ से तारकेश्वरी सिन्हा, पटना से रामदुलारी देवी और औरंगाबाद से ललिता राज्य लक्ष्मी, जहानाबाद से सत्यभामा देवी और चतरा से विजया राजे सांसद चुनी गईं. इनमें प्रिया गुप्ता और रामदुलारी सिन्हा ही नई थीं. बाकी बची पांच सांसद पिछले चुनाव में भी जीत दर्ज की थी.

– 1967 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ से तारकेश्वरी सिन्हा चतरा से विजया राजे, धनबाद से ललिता राज्य लक्ष्मी और पलामू से कमला कुमारी संसद तक फिर से पहुंचने में सफल रहीं. इनमें चार में से तीन पहले से ही सांसद थीं. 1971 के हुए चुनाव में बिहार से सिर्फ एक ही महिला सांसद दिल्ली पहुंच पाई थी.

– पलामू सीट से कमला कुमारी ने जीत हासिल की थी. वहीं बुरा हाल रहा 1977 का, जब एक भी महिला सांसद निर्वाचित नहीं हुईं.

– 1980 में हुए चुनाव में पांच महिलाओं ने जीत हासिल की. इनमें वैशाली से किशोरी सिन्हा, शिवहर से रामदुलारी सिन्हा, पूर्णिया से माधुरी सिंह, बेगूसराय से कृष्णा शाही और पलामू से कमला कुमारी शामिल थीं. रामदुलारी सिन्हा बिहार की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया था.

– महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी 1984 में रही, जब बिहार की नौ महिलाएं लोकसभा सदस्य चुनीं गईं. मोतिहारी से प्रभावती गुप्ता, वहीं वैशाली से किशोरी सिन्हा, तो बलिया से चंद्रभानु देवी, साथ ही पूर्णिया से माधुरी सिंह, बांका से मनोरमा सिंह, बेगूसराय से कृष्णा शाही, लोहरदगा से सुमति ओरांव और पलामू से कमला कुमारी चुनाव में जीत हासिल की थी.

– 1989 के हुए चुनाव में वैशाली से उषा सिंह और लोहरदगा से सुमति ओरांव,ने जीत दर्ज की थी वहीं 1991 में बेगूसराय से कृष्णा शाही धनबाद से रीता वर्मा और महाराजगंज से गिरिजा देवी चुनाव जीतने में सफल रहीं।

– वहीं 1996 में केवल तीन सांसद ही चुनी गईं थीं. बिक्रमगंज से कांति सिंह, गया से भगवती देवी और धनबाद से रीता वर्मा ने चुनाव में जीत हासिल की थी.

– 1998 में फिर चुनाव हुए. मोतिहारी से रमा देवी, नवादा से मालती देवी, धनबाद से रीता वर्मा और जमशेदपुर से आभा महतो निर्वाचित हुईं. एक साल बाद 1999 में पांच महिलाएं संसद पहुंचीं. इनमें खगड़िया से रेणु कुशवाहा, बिक्रमगंज से कांति सिंह, औरंगाबाद से श्यामा सिंह, धनबाद से रीता वर्मा और जमशेदपुर से आभा महतो निवार्चित हुई थीं.

– 15 नवंबर 2000 को झारखंड, बिहार से अलग हो गया. झारखंड अलग राज्य बना गया उसके बाद 2004 में तीन महिलाएं ही जीत संसद पहुंचीं, इनमें शामिल नाम है- सहरसा से रंजीत रंजन,आरा से कांति सिंह और सासाराम से मीरा कुमार. मीरा 2004 से 2009 तक सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रहीं कांग्रेस सरकार में. वहीं 2009 में थोड़े समय के लिए वे जल संसाधन मंत्री भी रहीं है. इसके अलावा 2009 से 2014 तक लोकसभा की 15वीं अध्यक्ष भी रहीं.

– 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में शिवहर से रमा देवी उजियारपुर से अश्वमेध देवी आरा से मीना सिंह और सासाराम से मीरा कुमार ने जीत हासिल की थी. इनमें रमा देवी और मीरा कुमार पहले भी सांसद बन चुकी थीं.

– 2014 में हुए चुनाव में मुंगेर से वीणा देवी, शिवहर से रमा देवी और सुपौल से रंजीत रंजन ने जीत हासिल की थी वहीं 2019 में शिवहर से एक बार फिर रमा देवी वैशाली से वीणा देवी और सिवान से कविता सिंह सांसद बनीं थीं.

– 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार से इस बार 5 महिला संसद पहुंची में कामयाब रही. जिनमें शामिल हैं लोजपा रामविलास के टिकट पर समस्तीपुर से जीतने वाली शांभवी चौधरी जो कि बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं. वहीं वो देश की सबसे युवा महिला सांसद भी बन गईं हैं. इसके अलावा मीसा भारती ने पाटलीपुत्रा से जीत हासिल की है. वहीं लवली आनंद ने शिवहर से जीत हासिल की. वीणा देवी और विजयालक्ष्मी कुशवाहा भी संसद में पहुंचने में कामयाब रहीं.

Vaibhav Mishra

असिस्टेंट प्रोड्यूसर- इनखबर | राजनीति और विदेश के मामलों पर लिखने/बोलने का काम | IIMT कॉलेज- नोएडा से पत्रकारिता की पढ़ाई | जन्मभूमि- अयोध्या, कर्मभूमि- दिल्ली

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