Sikkim SDF MLAs Join BJP: सिक्किम में मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग की सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) पार्टी के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. पूर्वोत्तर में बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है. सिक्किम की मुख्य विपक्षी पार्टी एसडीएफ के 10 विधायकों ने मंगलवार को बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के समक्ष भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. वहीं एसडीएफ के विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को भी डर सता रहा है.
गंगटोक/नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भारतीय जनता पार्टी के मिशन कमल का प्रभाव पूर्वोत्तर में भी सिर-चढ़कर बोल रहा है. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 15 में से 10 विधायक मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो गए. इसे पूर्वोत्तर में अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक उलटफेर के तहत देखा जा रहा है. सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग समेत 5 विधायकों को छोड़ अन्य सभी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. एसडीएफ छोड़कर गए 10 विधायकों ने मंगलवार को बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के समक्ष भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर की.
इससे सिक्किम के पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दल एसडीएफ को बड़ा झटका लगा है. पार्टी में अब पवन चामलिंग ही अकेले बड़े नेता रह गए हैं. पवन कुमार चामलिंग ने करीब 25 साल तक सिक्किम की सत्ता संभाली थी.सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद राज्य की सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की भी नींदे उड़ गई हैं.
दरअसल इसी साल लोकसभा चुनाव के साथ सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी हुए थे. जिसमें 32 में से 17 विधानसभा सीटों पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने जीत दर्ज की थी और प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में राज्य में सरकार का गठन किया था. वहीं 15 सीटें जीत कर एसडीएफ मुख्य विपक्षी पार्टी बनी.
अब बीजेपी ने एक साथ एसडीएफ के 10 विधायकों को अपने पाले में कर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी को तोड़ दिया है. वर्तमान में सिक्किम विधानसभा में बीजेपी का एक भी विधायक नहीं है, लेकिन अब पार्टी की संख्या 0 से 10 पहुंच गई है. बीजेपी में जाने से एसडीएफ का वजूद सिक्किम से खत्म होता नजर आ रहा है.
वहीं सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को भी अपने विधायकों के टूटकर बीजेपी में शामिल होने का डर सता रहा है. यदि बीजेपी राज्य में सत्ताधारी पार्टी के कुछ विधायकों को भी अपने पाले में करने में सफल होती है तो पूर्वोत्तर के इस राज्य में भी कमल खिलने के आसार बन सकते हैं.