नई दिल्लीः क्षमता से अधिक काम करने से आपके स्वास्थ्य, रिश्ते, काम की गुणवत्ता और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है. जहां एक ओर थकान, कमजोरी, अनिद्रा, पीठ, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी शारीरिक समस्याएं आपको तनाव का कारण बन सकती हैं, वहीं दूसरी ओर आप क्रोध, चिड़चिड़ापन और चिंता जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी शिकार हो सकते हैं.
इसलिए शरीर की कार्यक्षमता और जरूरतों को समझें और उसके अनुसार काम करें. अपनी क्षमताओं से परे काम करना स्वस्थ, खुशहाल और सफल करियर में बाधा बन सकता है. अपनी सीमाएं जानें. घर हो या ऑफिस, हर जगह ये बात याद रखें. इसे नजरअंदाज करना आपको बीमार बना सकता है.
यदि आप जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते तो विनम्रता से इसे अस्वीकार कर दें. इसका मतलब है कि कोई अनावश्यक तनाव नहीं है.
अपने समय और कौशल के आधार पर मूल्यांकन करें कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसके बाद ही किसी काम की जिम्मेदारी लें. यहां दिखावा करने से बड़ा नुकसान हो सकता है.
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ऑफिस हो या घर, अगर आप दिन का काम प्राथमिकता से पूरा करेंगे तो आपको कभी तनाव महसूस नहीं होगा, सबसे महत्वपूर्ण कार्य पहले निपटा लें.
काम के बीच अपने शरीर को आराम देना बहुत जरूरी है और ब्रेक सिर्फ ऑफिस में ही जरूरी नहीं है, घर का काम करते समय भी ब्रेक लेते रहें. ये आपके शरीर और दिमाग को ऊर्जावान बनाता है.
समय का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए तकनीकों को सीखें और उनका उपयोग करें, जैसे- टू डू कार्यों की सूची बनाना और समय सीमा निर्धारित करना. इससे काम को जल्दी और सही ढंग से पूरा करने में बहुत मदद मिलती है.
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