मुंबई. सियासत किसी के समझ आ जाए ये इतना भी आसान नहीं. कौन जाने, कब क्या हो जाए ? महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का सीएम बनना भी कुछ ऐसा ही समझिए. बेशक बाला साहेब ठाकरे ने अपनी विरासत बेटे उद्धव को सौंपी हो लेकिन उनके गुण भतीजे राज ठाकरे में कूट-कूटकर भरे थे. राज ठाकरे राजनीत करना चाहते तो उद्धव को फोटोग्राफी का शौक था. लेकिन किस्मत ने ऐसी पलटी मारी की अचानक उद्धव ठाकरे को शिवसेना का प्रमुख बना दिया गया, जैसे महाराष्ट्र में उन्हें अचानक सीएम.
अचानक सीएम से ये मतलब नहीं है कि वे बन नहीं सकते थे. वे बन सकते थे पूरी तरह काबिल थे लेकिन ये बात कहना भी गलत नहीं कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर बैठने के लिए कभी नहीं सोचा था. हालांकि, बेटे आदित्य ठाकरे को सीएम बनते देखना जरूर चाहते थे लेकिन खुद ही बन गए.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे तो आखिरी समय तक चाहते थे कि उनकी पार्टी से कोई दूसरा व्यक्ति ही पद संभाले या फिर उनके बेटे को जिम्मेदारी दी जाए. इसलिए इस बार आदित्य पहली बार ठाकरे परिवार में चुनाव लड़ने वाले सदस्य बने. हालांकि, आदित्य का राजनीति में कम अनुभव पहले बीजेपी तो बाद में कांग्रेस और एनसीपी को भी खटका. लेकिन उद्धव ठाकरे के नाम पर कांग्रेस और एनसीपी जरूर सरकार बनाने के लिए समर्थन में राजी हो गए और सरकार भी बन गई.
संजय राउत की लंबी लड़ाई के बाद नतीजा- शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे सीएम
लोकसभा 2019 के समय से बीजेपी के विरोध में लगातार हमला करने वाले उद्धव ठाकरे के करीबी और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आते ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को मिले बहूमत के बाद सीएम पोस्ट की डिमांड रखी. संजय राउत का कहना था कि बीजेपी ने चुनाव से पहले 50-50 फॉर्मूले पर सरकार चलाने के लिए कहा था इसलिए शिवसेना का राज्य में ढ़ाई साल सीएम रहेगा.
संजय राउत के लगातार हल्ला बोल के बाद शिवसेना के बाकी नेताओं ने भी शिवसेना के सीएम बनाने की मांग तेज कर दी. मुंबई में काफी जगह आदित्य ठाकरे फॉर सीएम के पोस्टर भी लगाए गए. बात बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस तक पहुंची तो उन्होंने किसी भी फॉर्मूले से इनकार कर दिया. भाजपा के बड़े नेताओं ने भी शिवसेना के दावों को खारिज कर दिया. उस समय शिवसेना समझ गई कि जब घी सीधी उंगली से न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ेगी.
कभी आदित्य तो कभी एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे का तो कहीं नाम नहीं था
संजय राउत के शिवसेना के सीएम बनने को लेकर बयान लगातार जारी थे. इस दौरान शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुन लिया गया. जब चर्चा तेज हो गई कि महाराष्ट्र के बड़े दलित चेहरे एकनाथ शिंदे को शिवसेना सीएम बनाने की बात कर रही है. उस समय भाजपा और शिवसेना में हमले एक दूसरे पर काफी तीखे हो गए और आखिरकार गुस्से में आकर शिवसेना एनडीए से बाहर हो गई. अरविंद सावंत ने भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
अब शिवसेना शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ अपना भविष्य खोजने लगी. एनसीपी और कांग्रेस ने मान मनव्वल में काफी समय लगाया लेकिन तीनों दलों की बात बन गई लेकिन एक शर्त रख दी गई कि अगर गठबंधन सरकार बनेगी तो सीएम उद्धव ठाकरे होंगे. हालात को समझते हुए उद्धव ने सीएम बनने का फैसला ले लिया. दूसरी ओर संजय राउत के सभी बयान सच हो गए लेकिन रिजल्ट में एकनाथ शिंदे और आदित्य की जगह उद्धव सीएम बन गए.
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