महाराष्ट्र संकट : शिंदे बोले- बागी नहीं, हम बाला साहेब के शिवसैनिक हैं

मुंबई, महाराष्ट्र के सियासी बवाल के बीच बागी नेता एकनाथ शिंदे का बयान सामने आया है. उन्होंने ऐलान कर दिया है कि कल यानी गुरुवार के दिन मुंबई पहुंचेंगे और विश्वास मत में शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि शिंदे विधायक दल की बैठक होगी जिसमें आगे की क्या रणनीति है ये तय किया जाएगा. बता […]

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महाराष्ट्र संकट : शिंदे बोले- बागी नहीं, हम बाला साहेब के शिवसैनिक हैं

Riya Kumari

  • June 29, 2022 6:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई, महाराष्ट्र के सियासी बवाल के बीच बागी नेता एकनाथ शिंदे का बयान सामने आया है. उन्होंने ऐलान कर दिया है कि कल यानी गुरुवार के दिन मुंबई पहुंचेंगे और विश्वास मत में शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि शिंदे विधायक दल की बैठक होगी जिसमें आगे की क्या रणनीति है ये तय किया जाएगा. बता दें, महाराष्ट्र में ये सियासी बवाल करीब एक सप्ताह से जारी है. जहां शिंदे गुट से लेकर शिवसेना भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर जा चुकी है. प्रदेश राज्यपाल ने भी अब भाजपा की मांग पर फ्लोर टेस्ट नोटिस जारी कर दिया है. जिसे लेकर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.

 

‘हम बागी नहीं शिवसैनिक’- शिंदे

गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे ने मीडिया से बात करते हुए अपने गुट को एक बार फिर शिवसैनिक बताया है. उन्होंने कहा, ‘हम बागी नहीं है..हम शिवसेना है और हम बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के एजेंडे और विचारधारा को आगे लेकर जा रहे हैं। हम लोग राज्य की प्रगति के लिए काम करेंगे।’

SC पहुंची शिवसेना

महाराष्ट्र की सियासत बार-बार सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर आकर रुक रही है. जहां बुधवार को कोर्ट में हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने अपने दलील दिए हैं. बता दें, बीते दिन भाजपा की मांग पर राज्यपाल ने भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया है. इस नोटिस से शिवसेना में हलचल मच गई है. जहां मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई है. इस याचिका में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा. जहां राज्यपाल के फैसले पर सिंघवी ने सवाल उठाए.

नहीं ली गई CM-मंत्रिमंडल की सलाह

सिंघवी के सभी तर्कों को लेकर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखाई दी. SC में सिंघवी ने शिवसेना का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले न ही CM और न ही मंत्रिमंडल से सलाह ली. जबकि इस मामले में उन्हें पूछना चाहिए था. सिंघवी आगे कहते हैं, राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के बजाय फडणवीस के इशारे और सलाह पर काम कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने अपने बयान को दोहराया कि “कोई सड़क से उठकर फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं कैसे हो सकता है. जो सदन का सदस्य नहीं है उसे वोट डालने की इजाजत कैसे दी जा सकती है?”

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