नई दिल्ली, Share Market On Budget शेयर मार्किट को कारोबारी नस कहा जाता है. बजट के दौरान सभी की नज़र शेयर मार्किट पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी टिकी रहती है. पहले ऐसे कौन से वित्तीय वर्ष रहे जहाँ शेयर मार्किट और बजट के बीच गहरा सम्बन्ध है.
संसद बजट पेश होने के बाद हर वर्ष देश का प्रत्येक वर्ग अब वह चाहे आम वर्ग हो चाहे किसान, नौकरीपेशा से लेकर कारोबारी सभी की कुछ आशाएं आगामी बजट और इसके पड़ने वाले प्रभावों से होती है. पिछले कुछ सालों में बजट के आने का भारी प्रभाव स्टॉक मार्किट और शेयर मार्किट पर देखने को मिला.
1 फरवरी 2022 को संसद में पेश किया जाने वाला बजट आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र काफी अहम भी माना जा रहा है. उद्द्योगपति वर्गों के लिए इस बजट में क्या संभावनाएं होंगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा पर शेयर मार्किट का प्रभाव केसा रहेगा इसका अनुमान पिछले कुछ वित्तीय वर्षों से पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए लगाया जा सकता है.
वर्ष 2011 में संसदीय बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोक कल्याणकारी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को ध्यान में रखते हुए पेश किया था. वित्तीय घाटे को कम करने की योजना के साथ इस वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया गया था. इस वर्ष शेयर मार्किट में भारी उछाल भी दर्ज़ किया गया था. सेंसेक्स (Sensex) में करीब 700 से ज्यादा अंक और निफ्टी को भी काफी ऊँचा दर्ज़ किया गया था.
वर्ष 2011 में हुए बदलाव अगले वर्ष के बजट की तुलना में बेहतर थे. जहां वर्ष 2012 का बजट यूपीए के आखरी कार्यकाल के वर्षों में पेश किया गया ये बजट, भ्रष्टाचार औऱ अन्य मुद्दों को लेकर नीतिगत पंगुता पर केंद्रित रहा था. तत्कालीन वर्ष शेयर बाजार का रुख निराशाजनक रहा जहाँ सेंसेक्स 210 नीचे लुढ़क गया था.
अंतिम बजट के बाद इस वर्ष का बजट भी शेयर मार्किट के लिए कुछ कमाल नहीं कर पाया. तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यूपीए-2 (UPA-2) के आखरी वर्ष के चुनाव को देखते हुए अंतरिम बजट पेश किया गया था. इस शेयर मार्किट पूर्व वर्ष से ज़्यादा नीचे गयी. सेंसेक्स इस वर्ष 300 अंकों के नीचे तक ज़्यादा गिरा. विदेशी टैक्स से जुड़े मुद्दों को लेकर बाजार में इस वर्ष मायूसी छाई रही. इसके बाद एनडीए की सरकार ने सम्पूर्ण बजट पेश कर रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स पर निवेशकों की आशंकाएं दूर कीं.
वर्ष 2015 में तत्कालीन वित् मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया. कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में 30 को घटाकर 25 कर दिया गया. इससे सेंसेक्स में काफी उछाल दर्ज़ किया गया. बाजार की स्थिति काफी साफ़ हो गयी. लेकिन इसके बावजूद भी GAAR को दो साल के लिए टाले जाने की घोषणा के बाद बाजार ने 500 अंकों के उछाल को गवा दिया.
इस वर्ष शेयर बाजार वितरण कर में बढ़ौतरी की गयी जिसके साथ ही कई सिक्योरिटी ट्रांज़ैक्शन में भी किये गए बदलावों ने बाजार में एक सकारात्मक माहौल गायब किया. साल का सेंसेक्स वापस 23 हज़ार के पायदान पर आ पहुंचा.
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट को सरकारी बैंकों को मदद पहुंचाने और सरकारी एवं निजी निवेश को बढ़ाने के लिए प्रयास कर खाका खींचा गया. इस वर्ष संसेक्स में 1200 अंकों का उछाल भी देखा गया जो 28 हज़ार के पार भी निकल गया जिसके साथ-साथ निफ़्टी ने भी कई उछाल रिकॉर्ड दर्ज़ किये.
जुलाई 2017 अप्रत्यक्ष कर की नयी व्यवस्था जीएसटी को लाया गया. इसके साथ जीएसटी के बाद ये पहला वित्त वर्ष रहने वाला था. इस बजट में भी मायूसी दिखी. इस वित्तीय वर्ष में निवेश में बराबरी के लिए इक्विटी पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की घोषणा सरकार निवेश में बराबरी के लिए कर चुकी थी. इस वर्ष सेंसेक्स घाटे के साथ नीचे गया जिसमें बाजार भी निराश देखा गया.
इस वर्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला बजट संसद में पेश किया. बजट मुख्य रूप से सुपररिच पर टैक्स लगाने औऱ सूचीबद्द कंपनियों में सार्वजनिक अंशधारिता को बढ़ाकर 35 फीसदी करने का ऐलान करने को लेकर था. शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट दर्ज़ की गयी लेकिन बाद के वर्षों में रिकवरी भी देखने को मिली.
निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट रहा जिसने बाजार में बढ़त तो बनाई लेकिन BSE और NSE के मामले में करीब 2.5 फीसदी की गिरावट भी देखी गयी. जिसके साथ 1000 अंकों की गिरावट सेंसेक्स में दिखी. इसी के साथ एलटीसीजी को न हटाने और डिविडेंड टैक्स को लेकर अनिश्चितता को भी देख गया.
बीतें वर्ष 2021 की बात करें तो यह निर्मला सीतारमण का तीसरा बजट रहा. इस बजट में स्टॉक मार्किट शेयर बाजार में रिकॉर्ड उछाल देखा गया. सेंसेक्स करीब रिकॉर्ड 2 हज़ार अंकों तक ऊपर गया. निफ्टी में भी 3 फ़ीसद की बढ़ौतरी दिखी.
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