नई दिल्ली: आज यानी 5 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन होता है. मान्यता यह है कि मां शैलपुत्री देवी सती ही है. पूर्व जन्म वो दक्ष प्रजापति के यहां जन्म ली थी. उन्होंने तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में पाया था. ज्योतिषी शास्त्र के मुताबिक मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. मान्यता यह भी है कि उनकी उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं।
मां शैलपुत्री के बाएं हाथ में कमल का पुष्प और दाहिने हाथ में त्रिशूल होता है. शास्त्रों के मुताबिक मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मां शैलपुत्री स्वरूप की उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा मूर्ति .
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को .
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥2॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥3॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी .
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥4॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती .
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥5॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू.
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥7॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी.
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥8॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती .
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥9॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै .
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥10॥
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