मुंबई. पी चिदंबरम के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (एमएससीबी) घोटाले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने माना है कि इन सभी आरोपियों को बैंक घोटाले के बारे में पूरी जानकारी थी. प्रारंभिक दृष्ट्या इनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. अदालत ने मुंबई पुलिस की आपराधिक शाखा को पांच दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये हैं.
शरद पवार और जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है. इन्होंने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था और डिफॉल्टर की संपत्तियों को कोड़ियों के भाव बेच दिया था. आरोप है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका पुनर्भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार उस समय बैंक के डायरेक्टर थे.
नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरिंदर अरोड़ा नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने 2015 में शरद पवार और अन्य के खिलाफ आपराधिक शाखा में शिकायत की थी. जब इस केस में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का रूख किया. अब हाई कोर्ट ने आपराधिक शाखा को पांच दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
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