नई दिल्ली: सनातन धर्म अथवा हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है. इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है. तो आईए जानते है कि क्या होता है विक्रम संवत, कब शुरु हुआ और दूसरे […]
नई दिल्ली: सनातन धर्म अथवा हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है. इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है. तो आईए जानते है कि क्या होता है विक्रम संवत, कब शुरु हुआ और दूसरे कैलेंडर से किस प्रकार अलग है.
‘शक संवत’ को सरकारी या अधिकारिक रूप से अपनाने के पीछे ये वजह दी जाती है कि शिला लेखो, प्राचीन लेखों, में इसका वर्णन देखा गया है. इसके अलावा यह संवत विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ. अंग्रेजी कैलेंडर से ये 78 वर्ष पीछे है, 2020 – 78 = 1942 इस प्रकार अभी 1942 शक संवत चल रहा है.
ऐसा कहा जाता है की राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत किया. उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे. जिनकी सहयोग से इस संवत के प्रचार प्रसार में मदद मिली. ये अंग्रेजी कैलेंडर या ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, 2020 + 57 = 2077 विक्रम संवत चल रहा है.
यूं तो नये साल का मतलब फर्स्ट जनवरी है. ग्रेगोरियन कैलेंडर या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी साल का पहला महीना है और एक जनवरी को दुनिया (के प्राय: सभी देशों) में नया साल मनाया जाता है. ग्रेगोरियन के अलावा कई अन्य कैलेंडर भी काफी प्रसिद्ध हैं. इसमें इस्लामी कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत को छोड़ कर सभी कैलेंडर में जनवरी या फरवरी में नये साल का शुरूआत होता है.
पूरी दुनिया में काल गणना का 2 ही आधार है- सौर चक्र और चंद्र चक्र. इस तरह गणना की जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में 365 दिन होते हैं. सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे लगते हैं. जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में 354 दिन होते हैं.
ग्रेगोरियन कैलेंडर या अंग्रेजी कैलेंडर का आरंभ ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म के चार साल बाद हुआ. यह कैलेंडर सौर वर्ष पर आधारित है और पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल होता है. इसे एनो डोमिनी अर्थात ईश्वर का वर्ष भी कहते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के महीने 30 और 31 दिन के होतें हैं, लेकिन फरवरी में सिर्फ 28 दिन होते हैं. प्रत्येक 4 साल बाद लीप ईयर आता है जिसमें फरवरी में 29 और वर्ष में 366 दिन होते हैं.
हिब्रू कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से भी पुराना है. बता दें कि यहूदी अपने दैनिक काम-काज के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. इस कैलेंडर का आधार भी चंद्र चक्र ही है, लेकिन बाद में इसमें चंद्र और सूर्य दोनों चक्रों का समावेश किया गया. इस कैलेंडर का पहला महीना शेवत के नाम से जाना जाता है.
हिज़री कैलेंडर का आरंभ 16 जुलाई 622 को हुआ. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद मक्का छोड़कर मदीना को प्रस्थान कर गए थे. इस घटना को हिजरत और हिजरी संवत चंद्र वर्ष पर आधारित मानते हैं. इसमें साल में 354 दिन होते हैं. सौर वर्ष से 11 दिन छोटा होने के कारण कैलेंडर वर्ष के अंतिम माह में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं.