नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास और SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को दो अलग-अलग पत्र लिखकर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच करने की मांग की है. जयराम ने उठाई जांच की मांग अडानी समूह का हवाला देते हुए […]
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास और SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को दो अलग-अलग पत्र लिखकर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच करने की मांग की है.
अडानी समूह का हवाला देते हुए SEBI प्रमुख को लिखे उनके पत्र में कहा गया है कि जांच निष्पक्ष और पूर्ण हो और बिना किसी पक्षपात के होनी चाहिए. पत्र में कहा गया है कि ऐसा करने में कोई भी विफलता भारतीय कॉर्पोरेट प्रशासन और भारत के वित्तीय नियामकों पर छाया डालेगी और वैश्विक स्तर पर धन जुटाने की हमारी क्षमता को प्रभावित कर सकती है. जयराम रमेश ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए कई आरोपों की एक पूर्ण स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए.
इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अपने पत्र में एक और चिंता जताई कि राष्ट्रीय महत्व के वित्तीय संस्थान जैसे कि LIC और SBI अडानी समूह की इक्विटी को भारी मात्रा में क्यों खरीद रहे थे जब अधिकांश निजी फंड गंभीर रूप से कम वजन वाले थे. LIC जिस पर 30 करोड़ से अधिक भारतीय अपनी जीवन भर की बचत का भरोसा करते हैं, ने हाल के दिनों में अडानी समूह के शेयरों में हजारों करोड़ रुपये खो दिए हैं.
जयराम रमेश ने सवाल किया, क्या हमें यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में अपने निवेश में अधिक रूढ़िवादी हैं और ऊपर से दबाव से मुक्त हैं? उन्होंने पत्र में कहा RBI को दो पहलुओं पर गौर करना चाहिए. पहला भारतीय बैंकिंग प्रणाली का सही अडानी समूह का एक्सपोजर क्या है? दूसरा अडानी समूह को स्पष्ट और निहित गारंटी क्या है कि अगर विदेशी फंडिंग समाप्त हो जाती है तो भारतीय बैंकों द्वारा उसे उबार लिया जाएगा?
पिछले दो सप्ताह में अडानी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में काफी गिरावट आई है. शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट ने समूह द्वारा स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया. यूएस-आधारित फर्म ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के बारे में चिंता जताई, जिसमें उच्च मूल्यांकन स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी के कारण अपने मौजूदा स्तरों से गिरावट की संभावना थी.
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग पर हमला करते हुए कहा कि, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट झूठ के अलावा कुछ नहीं है. अडानी समूह के शेयरों में निरंतर बिकवाली के कारण इसकी प्रमुख फर्म, अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बीस हजार करोड़ रुपये के पूर्ण रूप से सब्सक्राइब किए गए सार्वजनिक प्रस्ताव को रद्द कर दिया. एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग ) अपने आरंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों के बाद स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी द्वारा निवेशकों को शेयर जारी करना है.
अडानी समूह ने 29 जनवरी को 413 पन्नों की एक रिपोर्ट में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट किसी विशिष्ट कंपनी पर हमला नहीं है बल्कि भारत और इसकी विकास की कहानी और महत्वाकांक्षाओं पर सुनियोजित हमला है.
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