नई दिल्ली. Famous Sedition Cases in India: बॉलीवुड की रैपर सिंगर तरन कौर ढिल्लन उर्फ हार्ड कौर पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले ने एक बार फिर देशद्रोह के जिन्न को जिंदा कर दिया है. वकील शशांक शेखर की तरफ से हार्ड कौर के खिलाफ धारा 124(देश्द्रोह) मानहानि और आईटी एक्ट के सेशन 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है. हम आपकों बताने जा रहे हैं कि हार्ड कौर से पहले किन बड़ी शख्सियतों पर देशद्रोह का आरोप लगा है. साथ ही हम आपको बताएंगे कि किन बातों का उपयोग करके देशद्रोह जैसे संगीन आरोप से बचा जा सकता है.
ये है देशद्रोह का कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत लिखित या मौखिक शब्दों, चिन्हों, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नफरत फैलाना, असंतोष जाहिर करने, देशविरोधी बाते करने पर देशद्रोह का मामला दर्ज होता है. इस धार के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा भी हो सकती है. साल 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने भी देशद्रोह की इसी परिभाषा पर हामी भरी थी. बता दें कि आईपीसी की कुछ खास धाराओं के लागू होने पर गुट बनाकर आपस में बात करना भी आपको सरकार के विरोध में खड़ा करता है या आप संदिग्धों की लिस्ट में भी आ सकते हैं. मालूम हो की देशद्रोह कानून भारत में एक अंग्रेजों द्वारा लाई गई औपनिवेशिक व्यवस्था है. साल 1860 में अंग्रेजी सरकार ने इस नियम का मसौदा तैयार किया था. बाद में इसे आईपीसी की धार 124 ए की शक्ल दे दी गई.
देशद्रोह के कानून की समीक्षा करने की उठ रही मांग
देशद्रोह के बढ़ते मामलों के बीच देश में इस कानून की फिर से समीक्षा करने की मांग उठने लगी है. मानवाधिकार संस्थाओं का देशद्रोह कानून के विरोध में कहना है कि एक ओर तो संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दिया हुआ है तो दूसरी ओर देशद्रोह का कानून आजादी को रोकता है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सरकार इस कानून की आड़ में अभिव्यक्ति पर रोक लगा रही है.
कन्हैया कुमार-उमर खालिद
देशद्रोह के जिस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी वह था साल 2016 में हुआ चर्चित जेएनयू मामला. भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इस विवादस्पाद कार्यक्रम के मामले में देशद्रोह के आरोपों पर फरवरी 2016 में कन्हैया कुमार, उमर खालिद को गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि अभी वे जमानता पर है. ये मामला अभी भी पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है. दोनों की गिरफ्तारी पर काफी प्रदर्शन हुआ था.
बिनायक सेन
साल 2007 में बिनायक सेन को नक्सल विचारधारा को फैलाने के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिनायक सेन को इस मामले में जमानत मिल गई थी.
अरुधंति रॉय
साल 2010 में मशहूर लेखक अरुंधति रॉय और हुर्रियत पसंद अलवगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी पर कश्मीर-माओवादियों के पक्ष में एक बयान देने की वजह से देशद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले ने भी खूब तूल पकड़ा था.
हार्दिक पटेल
गुजरात में पाटीदार आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करने वाले मौजूदा कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को भी अक्टूबर 2015 में गुजरात पुलिस की ओर से देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. हार्दिक पटेल पर आंदोलन को हिंसक बनाने का आरोप था. इसी आरोप के चलते हार्दिक पटेल इस बार का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाए थे.
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