Section 377 Supreme Court Hearing Day 3 Highlights: IPC धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन की सुनवाई पूरी, 17 जुलाई मंगलवार को जारी रहेगी समलैंगिक बहस

Section 377 Supreme Court Hearing Highlights: समलैंगिकता को अपराध नहीं माने जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार से सुनवाई कर रहा है. गुरूवार को दोपहर करीब एक बजे सुनवाई शुरू हुई. लंच बाद इस मामले पर सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दिया गया है. सीजेई दीपक मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पांच जजों की संवैधानिक पीठ धारा 377 पर सुनवाई कर रही है. अभी धारा 377 को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.

Advertisement
Section 377 Supreme Court Hearing Day 3 Highlights: IPC धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन की सुनवाई पूरी, 17 जुलाई मंगलवार को जारी रहेगी समलैंगिक बहस

Aanchal Pandey

  • July 12, 2018 12:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. दो वयस्क महिला या दो वयस्क पुरुषों द्वारा आपस में सेक्स संबंध बनाना अपराध है या नहीं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को चल रही सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दिया गया है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पांच जजों की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है.

समलैंगिकता अपराध है या नहीं इस पर मंगलवार और बुधवार को भी सुनवाई हुई जो गुरुवार को कुछ समय तक ही चल पाई. इस मामले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पर ही छोड़ दिया है. एलजीबीटी कम्युनिटी सु्प्रीम कोर्ट से उम्मीद लगाई बैठी है कि उसे राहत मिलेगी और इसे अपराध के दायरे से बाहर निकाला जाएगा. 

अब क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों द्वारा समर्थन व विरोध में जोरदार दलीलें पेश की गईं. बुधवार को कोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क व्यक्तियों के बीच आपसी सहमति से सेक्स संबंध बनते हैं तो इसे अपराध करार नहीं दिया जा सकता. वहीं केंद्र सरकार की तरफ से एसीजी तुषार मेहता ने हलफनामा दाखिल कर कोई पक्ष न रखते हुए फैसला कोर्ट पर छोड़ दिया.

बुधवार को याचिकाकर्ता की वकील मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि सेक्शन 377 एलजीबीटी समुदाय के समानता के अधिकार को खत्म करती है. इस समुदाय के लोगों को कोर्ट, संविधान और देश से सुरक्षा मिलनी चाहिए. मेनका गुरूस्वामी ने कहा कि प्रतिभा के मामले में भी लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रासजेंर समुदाय के लोग कम नहीं हैं. आईएएस, आईआईटी जैसे कठिन एग्जाम्स भी इस समुदाय के लोग पास कर रहे हैं.

Live Updates: 

-याचिकाओं के खिलाफ सुरेश कुमार कौशल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. कौशल ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की. कौशल की याचिका पर ही 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर 377 को वैध ठहराया था. कौशल ने ये भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि सैकडों प्राणियों में भी ये देखने को मिलता है तो सैकडों प्राणी ऐसे भी हैं जो एक दूसरे को खाते हैं. जरूरी नहीं जो वो करते हों वो इंसान भी करें.

-कौशल ने याचिका में कहा है कि 377 को बरकरार रखना चाहिए क्योंकि इसे रद्द किया गया तो देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और मुश्किल हालात में काम कर रहे सशस्त्र बलों के जवान जो परिवार से दूर रहते हैं वो एक दूसरे के साथ समलैंगिक संबंधों में शामिल हो सकते हैं.

-एक याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हम इस मामले में खून के रिश्तों व अन्य मुद्दों की तरफ नहीं जा रहे. हम इस पर विचार कर रहे हैं कि LGBT समुदाय में यौन प्राथमिकताओं के दायरे में 377 संवैधानिक रूप से वैध है या नहीं. केंद्र को इस पर आम राय लेनी चाहिए थी लेकिन उसने मामले को कोर्ट पर छोड दिया.

-चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बहुमत की नैतिकता पर नहीं बल्कि संवैधानिक नैतिकता पर चलते हैं.

-क्रिश्चिएन काउंसिल ने 377 रद्द किए जाने का विरोध किया. कहा विरोध करने की जिम्मेदारी केंद्र की थी लेकिन उसने यू टर्न ले लिया.

जस्टिस ए एम खानविलकर ने कहा कि ये यू टर्न नहीं है. निजता के अधिकार के बाद अब इस मामले को भी कोर्ट के विवेक पर छोडा गया है.
-जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि आप इसे कैसे यू टर्न कह सकते हैं. केंद्र ने 2013 के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की थी.
-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि भले ही केंद्र ने इस मुद्दे को हम पर छोड दिया लेकिन हम 377 की संवैधानिकता पर विस्तृत विश्लेषण करेंगे. सुनवाई 17 जुलाई को जारी रहेगी. केंद्र के किसी मुद्दे को खुला छोड देने का मतलब ये नहीं है कि उसे न्यायिक पैमाने पर देखा नहीं जाएगा

– दोपहर करीब एक बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई. थोड़ी देर, करीब आधा घंटा बाद लंच समय होने की वजह से रुकी. 

Supreme Court IPC Section 377 Hearing: 377 को अपराध नहीं बनाने की अदालती लड़ाई का इतिहास, दिल्ली हाईकोर्ट से संविधान पीठ का सफर

Supreme Court IPC Section 377 Hearing: भारत का पहला समलैंगिक जोड़ा, IIT ग्रेजुएट ने वियतनाम के टीचर से रचाई थी शादी

Tags

Advertisement